जानिए अंतरिक्ष की अद्भुत तस्वीरों के पीछे का 'साइंस', जिसे नासा के हबल टेलीस्कोप ने खिंचा
हबल टेलीस्कोप
हबल स्पेस टेलीस्कोप (Hubble Space Telescope) का मिरर बेस्ड ऑप्टिकल सिस्टम (Mirror Based Optical System) विश्लेषण करने के लिए अंतरिक्ष से प्रकाश को इकट्ठा करता है और फोकस करता है. ऑप्टिकल टेलीस्कोप असेंबली (OTA) नामक ऑप्टिकल सिस्टम की मदद से हबल इन्फ्रारेड, विजिबल और अल्ट्रावॉयलेट प्रकाश को इकट्ठा करता है ब्रह्मांड (Space) की एक अद्भुत तस्वीर खींचता है.
OTA में एक ग्रेफाइट एपॉक्सी ढांचा लगा होता है, जो गोल्फ क्लब, साइकिल और टेनिस रैकेट में पाया जाता है. OTA के फ्रेम के लिए ग्रेफाइट एपॉक्सी को इसलिए चुना गया क्योंकि ये बेहद हल्का और मजबूत होता है. हालांकि तापमान के उतार-चढ़ावे के चलते ग्रेफाइट एपॉक्सी सिकुड़ता और फैलता है. पृथ्वी की परिक्रमा के दौरान हबल तापमान में बदलाव का अनुभव करता है.
प्रकाश से कैसे बनती है तस्वीर?
तापमान में उतार-चढ़ाव संभावित रूप से हबल में लगे मिरर में गड़बड़ी पैदा कर सकता है इसलिए इन्हें लगभग 70 डिग्री फॉरेनहाइट (21 डिग्री सेल्सियस) के नियत तापमान पर फिक्स किया जाता है. अब सवाल यह कि हबल लाइट को कैसे कैद करता है? इसके लिए हबल दो दर्पणों का इस्तेमाल करता है, जिन्हें कैससेग्रेन टेलीस्कोप डिजाइन में रखा जाता है ताकि प्रकाश को इकट्ठा किया जा सके और फोकस किया जा सके. जब प्रकाश टेलीस्कोप की लंबाई से नीचे जाता है, तो यह अवतल और प्राइमरी मिरर से टकराता है.
प्रकाश प्राइमरी मिरर से टकराकर टेलीस्कोप के सामने की ओर वापस जाता है. यहां वो सेकेंडरी मिरर से टकराता है जो उत्तल आकार का होता है. सेकेंडरी मिरर प्रकाश को एक बीम में केंद्रित करता है जहां से प्रकाश वापस पीछे की ओर जाता है और फिर प्राइमेरी मिरर में एक छेद के माध्यम से जाता है. इसके बाद प्रकाश का वैज्ञानिक उपकरणों की मदद से विश्लेषण किया जाता है. हबल के दर्पण परवलयिक कैससेग्रेन दर्पण की तुलना में ज्यादा घुमावदार होते हैं. इसे Ritchey-Chrétien डिजाइन कहा जाता है जो बड़े दृश्य की सबसे बेहतर तस्वीर खींचने में मदद करता है.
प्राइमरी मिरर की क्षमता आंख से 40,000 गुना ज्यादा
प्राइमरी मिरर का व्यास 7.8 फीट (2.4 मीटर) होता है जबकि सेकेंडरी मिरर सिर्फ 12 इंच (30.5 सेंटीमीटर) चौड़ा होता है. प्राइमरी मिरर इंसान की आंख की तुलना में 40,000 गुना ज्यादा प्रकाश इकट्ठा कर सकता है. हालांकि प्राइमरी मिरर आकार में काफी बड़ा होता है लेकिन इसका वजन बेहद हल्का होता है. एक ठोस कोर के बजाय हबल के प्राइमरी मिरर में एक 'Honeycomb Core' लगा होता है जिससे इसका वजन 8000 पाउंड से घटकर 1800 पाउंड हो जाता है.
दोनों दर्पण एल्यूमीनियम और मैग्नीशियम फ्लोराइड की पतली परतों से ढके होते हैं. एल्यूमीनियम की परत एक इंच की 3/1,000,000 मोटी होती है. मैग्नीशियम फ्लोराइड परत को ऑक्सीकरण से बचाने के साथ-साथ पराबैंगनी प्रकाश की परावर्तनशीलता को बढ़ाने के लिए एल्यूमीनियम के ऊपर चढ़ाया जाता है. दर्पण और परत बेहद चिकने होते हैं.
क्यों बेहतर तस्वीरें खींच पाता है हबल?
हबल पृथ्वी की दूरबीनों की तुलना में ज्यादा सटीकता के साथ तस्वीरें इसलिए खींच पाता है क्योंकि इसके रास्ते में पृथ्वी का वायुमंडल बाधा नहीं बनता. वायुमंडल प्रकाश को बाधित करता है और अंतरिक्ष से ली गई तस्वीरों को धुंधला कर देता है. वायुमंडल के बाहर अपनी स्थिति और शक्तिशाली ऑप्टिकल उपकरण के चलते हबल वो तस्वीरें खींचने में सक्षम है जो दूरबीनें पृथ्वी से नहीं खींच पाती.