जानें धरती पर मौसम बदलने का कारण
कम शब्दों में समझें तो धरती की धुरी (Earth Axis) के झुकाव के कारण मौसम बदलते हैं.
सूरज से धरती की दूरी है वजह?
एक धारणा है कि गर्मी का मौसम इसलिए होता है क्योंकि उस समय सूरज से धरती की दूरी कम हो जाती है और सर्दियों का मौसम यूं होता है कि यह दूरी बढ़ जाती है. हालांकि सुनने में यह कॉंसेप्ट ठीक लगता है लेकिन यह क्यों ठीक नहीं है? आइए समझें कि विज्ञान क्या कहता है.
यह सही है कि हमारी पृथ्वी की कक्षा पूरी तरह सर्कल नहीं है. यह एक तरफ से थोड़ी सी चपटी है. साल के कुछ समय में पृथ्वी वाकई सूरज के कुछ नज़दीक होती है, और कुछ समय में सूरज से दूरी कुछ बढ़ जाती है. लेकिन अगर आप गौर करें कि सूरज और पृथ्वी की दूरी कितनी है, तो कक्षा में घूमती पृथ्वी के थोड़ा पास या दूर होना बहुत अंतर नहीं पैदा करता. यानी इस बात से मौसम बदलने पर कोई फर्क नहीं पड़ता.
तो फिर क्यों बदलते हैं मौसम?
पृथ्वी के ऊपर से नीचे तक, केंद्र में पृथ्वी की कक्षा एक काल्पनिक पोल की तरह है. ऐसे समझें कि इस एक पोल के चारों तरफ पृथ्वी घूम रही है, एक पूरा चक्कर करने पर हमें दिन और रात का समय दिखता है. मौसम इसलिए बदलते हैं कि क्योंकि यह कक्षा का जो पोल है, यही सीधा नहीं रहता. यही थोड़ा इधर उधर झुकता है.
लेकिन यह झुकाव क्यों?
बहुत, बहुत पहले की बात है, जब पृथ्वी की उम्र बहुत कम थी, माना जाता है कि तब कोई बड़ी भारी चीज़ पृथ्वी से टकराई थी. इस झटके के कारण कारण अपनी कक्षा में सीधे ऊपर और नीचे रोटेशन के बजाय पृथ्वी थोड़ी झुकाव के साथ घूमने लगी. अब ये बड़ी भारी चीज़ क्या थी? क्या वैज्ञानिक इस बारे में और भी कुछ जानते हैं?
जी हां, माना गया है कि करीब 4.5 अरब साल पहले शुरूआती सौरमंडल का एक ग्रह थिया, हमारी पृथ्वी से टकराया था. इसके टकराने से ये हुआ कि भारी मात्रा में धूल और मलबा पृथ्वी की कक्षा में पहुंचा. कई वैज्ञानिक मानते हैं कि समय के साथ यही पृथ्वी के चंद्रमा के तौर पर नज़र आया.
बहरहाल, पृथ्वी का यह जो झुकाव है, इसी के कारण यहां मौसमों में बदलाव होता है. हर मौसम में पृथ्वी और सूरज के रिश्ते को समझा जाए तो गर्मी का मौसम पृथ्वी के उस हिस्से पर होता है, जहां सूरज की सबसे ज़्यादा रोशनी पड़ रही होती है और सर्दी वहां हो रही होती है, झुकाव के कारण जहां ये रोशनी एक एंगल के साथ पहुंच रही होती है. साल भर में कभी उत्तरी ध्रुव सूरज की तरफ झुका होता है, तो कभी दक्षिणी ध्रुव.