ऑस्ट्रेलिया और नासा के नए अंतरिक्ष करार के मायने जानिए
पिछले साल नासा (NASA) और चीन के एक ही समय पर भेजे गए मंगल अभियानों से नई प्रतिस्पर्धा ने जोर पकड़ लिया है.
पिछले साल नासा (NASA) और चीन के एक ही समय पर भेजे गए मंगल अभियानों से नई प्रतिस्पर्धा ने जोर पकड़ लिया है. लेकिन इसमें सबसे प्रमुख घटना नासा का आर्टिमिस समझौते (Artemis Accord) का ऐलान रही जिसमें अंतरिक्ष उत्खनन की शर्तों का उल्लेख था. ये नासा के साथ सहयोग की शर्तें थीं. इस पर रूस ने ऐतराज जाताया और चीन तो अमेरिका से पहले ही प्रतिस्पर्धा कर ही रहा था. पिछले कुछ समय से अमेरिका अपने लिए साथियों को तलाश रहा है, जिसमें अब ऑस्ट्रेलिया (Australia) पहले से शामिल है जो नासा के भावी अभियानों के लिए चंद्रमा पर जाने वाला रोवर तैयार करेगा.
नया समझौते में सहयोग
नासा का कहना है कि आर्टिमिस कार्यक्रम के तहत चंद्रमा के लिए उसकी लंबी अवधि की योजनाओं में अंतरराष्ट्रीय और व्यवसियक साझेदारी अहम हिस्सा हैं. इसी के तहत उसने ऑस्ट्रेलियाई स्पेस एजेसी (ASA) से यह नया समझौता किया है. इसके तहत दोनों चंद्र अभियानों में मानवीय और रोबोटिक कार्यों के लिए देश एक दूसरे को सहयोग करेंगे.
खास रोवर का विकास
इस समझौते के एक हिस्से के अनुसार ऑस्ट्रेलिया व्यवसायियों और शोध संगठनों का एक समूह नासा के लिए एक छोटा रोवर विकसित करेगा जिसमें चंद्रमा से चट्टान और धूल के नमूने जमा करने से लेकिन नासा के इन सीटू रिसोर्स यूटिलाइजेशन (ISRU) सिस्टम संचालित करने की क्षमताएं होंगी. यह रोवर 2026 तक चंद्रमा तक पहुंच सकेगा.
पुराने हैं नासा और ऑस्ट्रेलिया के अंतरिक्ष संबंध
नासा के प्रशासक बिल नेल्सन का कहना है कि यह समझौता ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के अंतरिक्ष अन्वेषण से संबंधित में मामलों के संबंधों को लंबी समय तक मजबूती प्रदान करने का काम करेगा जो आधी सदी पहले से अपोलो कार्यक्रम से चले आ रहें हैं. नेल्सन ने यह भी जोर देते हुए कहा कि ऑस्ट्रेलियाई स्पेस एजेंसी और दूसरे साझेदारों के साथ काम कर नासा आर्टिमिस कार्यक्रम के जरिए और ज्यादा शोध और खोजें करने में सफल होगा.
15 करोड़ की सहायता
इस समझौते के तहत ऑस्ट्रेलियाई सरकार चंद्रमा से मंगल की ओर की पहल के लिए 15 करोड़ डॉलर की सहायता करेगी जिसकी घोषणा ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मॉरिसन स्कॉट ने 2019 में नासा मुख्यालय में आयोजित एक समारोह में की थी. इसमें ऐसी एप्लिकेशन्स तैयार की जाएंगी जो मानव और विज्ञान अंतरिक्ष अभियानों के लिए दोनों ही एजेंसियों को फायदा पहुंचाएंगी.
ऑस्ट्रेलिया को होगा फायदा
इस समझौते से ऑस्ट्रेलिया रोबोटिक सिस्टम और सेंसिंग, संसाधन तकनीक, ग्रह विज्ञान जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगा जो भविष्य के अंतरिक्ष अन्वेषण गतिविधियों के लिए बड़ा योगदान हो सकता है. ऑस्ट्रेलियाई स्पेस एजेंसी के प्रमुख एनरिको पालेरमो का कहा है कि इन तकनीकों में ऑस्ट्रेलिया पहले ही बहुत काम कर चुका है और उसकी तकनीक चंद्रमा पर स्थाई उपस्थिति के लिए प्रमुख भूमिका निभाने वाली साबित होंगी. इस समझौते से रिमोट ऑपरेशन की विशेषज्ञता का उपयोग ऑस्ट्रेलिया के अंतरिक्ष क्षेत्र के साथ उसके संसाधन क्षेत्र को भी मजबूती प्रदान करेगा.
नासा के साझेदार
गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलिया नासा के प्रमुख सहयोगियों में से एक है. नासा के कई अंतरिक्ष अभियानों के लिए संचार तंत्र के खास हिस्से ऑस्ट्रेलिया में चल रहे हैं. ऑस्ट्रेलिया आर्टिमिस समझौते के तहत नासा का साझेदार है. इसके अलावा कनाडा, इटली, जापान , दक्षिण कोरिया, यूके, यूएई, यूक्रेन भी नासा के साझेदार है.
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अंतरिक्ष के क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया नासा की बढ़ती सक्रियता दरअसल एक बड़ा संकेत है कि नासा ने अकेले चलने की नीति को बहुत पहले ही छोड़ दिया है, लेकिन वह अपने ज्यादा से ज्यादा बहुराष्ट्रीय सहयोग और साझेदारी से अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम करना चाहता है. वह यान प्रक्षेपण का क्षेत्र पहले ही निजी क्षेत्र को सौंप रहा है. अब उसका कोई भी अभियान पूरी तरह से नासा या अमेरिकी नहीं होगा. मंगल से चट्टानों के नमूनों का लाने का अभियान इसकी मिसाल है.