ISRO ने नई तकनीक का किया प्रदर्शन, अब ये मिशन होंगे आसान

Update: 2022-09-04 12:16 GMT

नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने हम भारतीयों को एक से बढ़कर ऐसे मौके किए है जिनके बदौलत हर हिन्दुस्तानी दुनिया भर में गर्व करता है. गगनयान (Gaganyaan) हो और मॉम (Mars Orbiter Mission) जैसे बड़े-बड़े मिशन के इसरो ने अंजाम दिया है. भारत की ओर से अंतरिक्ष और अन्य क्षेत्रों में शोध करने वाली इसरो ने अपने नाम एक और बड़ा कारनामा किया है. इसरो ने इन्फ्लेटेबल एरोडायनामिक डिसेलेरेटर (Inflatable Aerodynamic Decelerator) नाम की एक नई तकनीक का सफलता पूर्वक परिक्षण किया है. जो भविष्य के स्पेस मिशन में बड़ा रोल आदा करेगी.

क्या है इन्फ्लेटेबल एरोडायनामिक डिसेलेरेटर
जिस इन्फ्लेटेबल एरोडायनामिक डिसेलेरेटर (IAD) को लेकर दुनिया भर में इसरो तारीफ हो रही है. उसको बनाने का काम विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (Vikram Sarabhai Space Centre) में किया गया है. इसे थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन (Thumba Equatorial Rocket Launching Station) से लॉन्च किया गया जिसमें रोहिणी साउंडिंग रॉकेट (Rohini sounding rocket) का इस्तेमाल किया गया. इसरो के अनुसार आईएडी (IAD) को स्पेंट स्टेज रिकवरी के लिए बनाया गया है. आपको बता दें कि इस रोहिणी रॉकेट सीरिज को भी इसरो के द्वारा ही विकसित किया गया है.
स्पेस जेट की लैंडिंग को बनाएगा आसान
वैज्ञानिकों के अनुसार आईएडी के इस्तेमाल से मंगल और शुक्र जैसे मिशन में पेलोड को सुरक्षित उतारने पर आसानी होगी. इससे अंतरिक्ष में किसी स्पेस स्टेशन को बनाने में मदद भी मिलेगी. आपको बता दें कि आईएडी के साथ रेडियो टेलीमेट्री ट्रांसमीटर (Radio Telemetry Trasmeter) और माइक्रो वीडियो इमेजिंग सिस्टम (Micro Video Imaging System) का भी परिक्षण किया गया. इसरो के अनुसार आईएडी को शुरू में मोड़ा गया और रॉकेट के पेलोड-बे के अंदर रखा गया. इसके बाद लगभग 84 किलोमीटर की ऊंचाई पर आईएडी को फुलाया गया फिर यह रॉकेट के पेलोड हिस्से के साथ वायुमंडल में नीचे उतरा. वैज्ञानिकों ने बताया कि इसे फुलाने की प्रणाली इसरो के Liquid Propulsion Systems Centre (एलपीएससी) ने विकसित की है.
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