कमजोरी और थकान लगे पर बुखार न आए तो हो सकता है डेंगू, जाने कैसे

संक्रमण के मामलों में फिलहाल काफी कमी देखी जा रही है, इस बीच डेंगू बुखार ने नई मुसीबत खड़ी कर दी

Update: 2021-10-20 10:17 GMT

देशभर में कोरोना संक्रमण के मामलों में फिलहाल काफी कमी देखी जा रही है, इस बीच डेंगू बुखार ने नई मुसीबत खड़ी कर दी है। राजधानी दिल्ली सहित देश के कई हिस्सों से डेंगू के प्रकोप की खबरें सामने आ रही हैं। डेंगू के बढ़ते मामलों के कारण कई स्थानों पर अस्पतालों में बेड कम होने लग गए हैं जिससे लोगों को तरह-तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। देश में सितंबर-अक्तूबर के महीने में अक्सर डेंगू के मामले बढ़ जाते हैं। मच्छरों के काटने से फैलने वाली इस बीमारी में तेज बुखार, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द के साथ उल्टी होना सामान्य लक्षण माना जाता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक डेंगू के मरीजों को हर बार तेज बुखार हो, ऐसा जरूरी नहीं है। कई लोगों में बिना बुखार के कमजोरी और थकान की स्थिति में भी डेंगू का निदान किया जा रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक जिस तरह से देश के कई हिस्सों में डेंगू के मामलों में तेजी से उछाल देखा जा रहा है ऐसे में लोगों को बिना बुखार वाले डेंगू से भी सावधान रहने की आवश्यकता है। इस तरह के डेंगू को 'एफेब्रिल डेंगू' कहा जाता है, जो अपेक्षाकृत अधिक घातक हो सकता है। आइए आगे की स्लाइडों में इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

एफेब्रिल डेंगू क्या होता है?

अमर उजाला से बातचीत में लखनऊ स्थित एक अस्पताल में डेंगू रोगियों का इलाज कर रहे डॉक्टर वेदांत सिंह बताते हैं, सामान्यतौर पर माना जाता है कि डेंगू में लोगों को बहुत तेज बुखार के साथ जोड़ों में दर्द की समस्या होती है, हालांकि एफेब्रिल डेंगू के लक्षण इससे बिल्कुल अलग हैं। डेंगू के कई ऐसे मरीजों का निदान किया जा रहा है जिनमें बुखार के बिना भी प्लेटलेट्स काफी lतेजी से कम हो जाते हैं। इतना ही नहीं कुछ लोगों को जोड़ों में दर्द की समस्या भी कम हो रही है। इस तरह के डेंगू को ज्यादा खतरनाक माना जाता है क्योंकि इसमें रोगी को तब तक इस बारे में पता नहीं चल पाता है जब तक उसकी हालत बहुत ज्यादा खराब नहीं हो जाती।

एफेब्रिल डेंगू के लक्षण क्या होते हैं?

डॉ वेदांत बताते हैं, एफेब्रिल डेंगू की स्थित में रोगी को बुखार तो नहीं होता है लेकिन उसमें डेंगू के अन्य लक्षण जैसे जोड़ों में दर्द, त्वचा पर चकत्ते दिख सकते हैं। कई रोगियों में यह लक्षण भी बहुत हल्के होते हैं, यही इस प्रकार के डेंगू को काफी खतरनाक बना देती है। रोगियों की स्थिति धीरे-धीरे बिगड़ती जाती है और टेस्ट कराने पर शरीर में प्लेटलेट्स के स्तर में भारी गिरावट के बारे में पता चलता है। बच्चों में इस तरह के डेंगू का निदान ज्यादा होता है। डेंगू के बढ़ते मामलों के बीच लोगों को एफेब्रिल डेंगू से विशेष सावधान रहने की आवश्यकता है। 

एफेब्रिल डेंगू का निदान और इलाज

डॉ वेदांत बताते हैं, डेंगू के इस मौसम में यदि आपको बिना बुखार के भी लगातार कमजोरी और थकान बनी रहती है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। स्थिति के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले खून की जांच कराने की सलाह देते हैं। डेंगू की पुष्टि होने पर इसके लक्षणों के आधार पर इलाज शुरू किया जाता है।

वैसे तो डेंगू बुखार का फिलहाल कोई विशिष्ट उपचार नहीं है, हालांकि लक्षणों को देखते हुए रोगियों को दवाइयां दी जाती हैं। एफेब्रिल डेंगू के इलाज का पहला लक्ष्य रोगियों के प्लेटलेट्स को बढ़ाने की रहती है। रोगी को ज्यादा से ज्यादा आराम करने और अधिक मात्रा में तरल पदार्थों के सेवन की सलाह दी जाती है। 

एफेब्रिल डेंगू से सुरक्षित कैसे रहें

डॉ वेदांत बताते हैं, किसी भी प्रकार के डेंगू से बचाव का सबसे कारगर तरीका है-मच्छरों को पनपने से रोकना। डेंगू के मच्छर दिन में ज्यादा काटते हैं ऐसे में सभी लोगों को इससे बचाव के तरीकों को प्रयोग में लाते रहना चाहिए। इसके लिए मच्छर भगाने वाली दवाओं का प्रयोग करें और घर या आस-पास पानी जमा होने से रोकें। अपने आस-पास के स्थानों को साफ-सुथरा रखें। पूरी बाजू के और ढीले कपड़े पहनें और सबसे आवश्यक बात, सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें। खान-पान में उन चीजों को शामिल करें जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूती देते हों।

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