विज्ञान से उम्मीद

साल 2022 में विज्ञान ने हमें खूब सहारा दिया और कुछ अलग हटकर सोचने का मौका भी। इसमें कोई संदेह नहीं कि महामारी के समय विज्ञान के प्रति लोगों का भरोसा बहुत बढ़ा है

Update: 2022-12-26 05:41 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | साल 2022 में विज्ञान ने हमें खूब सहारा दिया और कुछ अलग हटकर सोचने का मौका भी। इसमें कोई संदेह नहीं कि महामारी के समय विज्ञान के प्रति लोगों का भरोसा बहुत बढ़ा है और समाज को इससे व्यापक फायदे भी हो रहे हैं। हर व्यक्ति प्रौद्योगिकी पर अब पहले से कहीं अधिक भरोसा करने लगा है, इससे समाज के डिजिटलीकरण को सबसे ज्यादा बल मिला है। इसमें कोई संदेह नहीं कि इस साल विज्ञान जगत में भी सबसे ज्यादा चिंता महामारी की हुई है। ओमीक्रोन और उससे मिलते-जुलते वेरिएंट समस्या बने हुए हैं, साल की शुरुआत में भारत में और साल के जाते-जाते चीन में इस वेरिएंट ने वैक्सीन की क्षमता पर सवाल पैदा कर दिए हैं। अमेरिका तो इस वायरस से शायद उबर ही नहीं पा रहा है। वैज्ञानिकों ने समझ लिया है कि कोरोना को भगाने के लिए और गहरे उतरकर शोध करना पड़ेगा। स्पेनिश फ्लू महामारी तो दो साल बाद ठंडी पड़ गई थी, लेकिन कोविड-19 को तीन साल बाद भी चैन नहीं आया है। 18 मार्च 2020 के बाद से आज तक दुनिया में कोई दिन ऐसा नहीं बीता है, जब 1000 से कम लोगों की इससे मौत हुई हो।

बहरहाल, यह अच्छी बात है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन और वैज्ञानिकों ने वायरस जनित बीमारियों के खतरे को समझ लिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन प्राथमिक रोगजनकों की संशोधित सूची जारी करने वाला है। लगभग 300 वैज्ञानिक रोगजनकों की पहचान करने के लिए 25 से अधिक वायरल और जीवाणु परिवारों की समीक्षा करेंगे। ऐसे वायरस का पता लगाया जाएगा, जिनसे भविष्य में संक्रमण विस्फोट की जरा भी आशंका है। वैज्ञानिक पहले से ही ऐसी बीमारी या महामारी के निदान और टीकों पर काम शुरू कर देंगे। स्पेनिश फ्लू केवल फेफड़े पर प्रहार करता था, जबकि कोविड ने अनेक अंगों पर प्रहार किया है। जो मौका कोविड को मिल गया, वैसा मौका वैज्ञानिक किसी अन्य महामारी को देना नहीं चाहते हैं। एक बाधा है, जो विज्ञान की राह रोक रही है। मिसाल के लिए, अफ्रीकी देशों में आधी से भी कम आबादी को कोरोना का एक भी टीका नहीं लगा है। पिछडे़ देशों की सरकारों को सचेत रहना होगा, ताकि विज्ञान का लाभ लेने में ये देश पीछे न रह जाएं। एक और खुशखबरी है कि वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 26 वैज्ञानिकों को नियुक्त किया है। शायद हम साल 2023 में कोरोना की असली वजह जान पाएंगे।
साल 2022 को अंतरिक्ष अभियानों के लिए भी याद किया जाएगा। अमेरिका के चंद्र अभियान में तेजी आ गई है। चीन भी होड़ कर रहा है। भारत भी जुटा है, भारत का तीसरा चंद्र मिशन, चंद्रयान-3 अगले साल साकार होगा। भारत में निजी रॉकेट लॉन्चिंग को बढ़ावा मिला है। साल 2022 उचित ही जलवायु की चिंता का वर्ष रहा है। कोरोना से दुखी दुनिया जैव संरक्षण के लिए भी सजग होती दिख रही है। साल 2022 को इसलिए भी याद किया जाएगा कि इस वर्ष विकसित देश पर्यावरण और जैव संरक्षण के लिए धन खर्च करने को तैयार हुए हैं। तकनीक क्षेत्र की बात करें, तो भारत में यह 5जी के पदार्पण का वर्ष रहा। ऑनलाइन मार्केटिंग रोजमर्रा का हिस्सा बनती जा रही है, पर साइबर सुरक्षा ने हमें चिंता में डाल रखा है। एम्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थान को निशाना बनाया गया। भारत जैसे देश के लिए यह चुनौती है कि अधिक से अधिक लोगों तक सेवा और सुरक्षा सस्ते में पहुंचे।


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