ये है मिल्की वे का डाउनटाउन, NASA ने शेयर की आकाशगंगा के केंद्र की लाजवाब तस्वीर

मिल्की वे (Milky Way) की एक बेहद ही खूबसूरत और अंतरिक्ष की ऊर्जा से भरी हुई तस्वीर को शेयर किया है

Update: 2021-05-29 09:30 GMT

अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने हमारी आकाशगंगा (Galaxy) मिल्की वे (Milky Way) की एक बेहद ही खूबसूरत और अंतरिक्ष की ऊर्जा से भरी हुई तस्वीर को शेयर किया है. ये तस्वीर मिल्की वे के डाउनडाउन (Milky Way Downtown) की है. यानी कि आकाशगंगा की वो जगह जो इसके बिल्कुल केंद्र में हैं. यहां बहुत सी खगोलीय गतिविधियां होती रहती हैं. माना जाता है कि यहां सबसे ज्यादा हलचल होती है.

इस तस्वीर को लेकर बताया गया है कि ये पिछले दो दशकों से पृथ्वी का चक्कर लगा रहे 'चंद्र एक्स-रे ऑब्जर्वेटरी' (Chandra X-ray Observatory) द्वारा किए गए 370 ऑब्जर्वेशन का नतीजा है. इसने मिल्की वे के केंद्र (Milky Way center) में अरबों सितारों और ब्लैक हॉल्स (Black Holes) की तस्वीरों को खींचा, जिसके बाद ये तस्वीर सामने आई है. इस तस्वीर के कंट्रास्ट के लिए दक्षिण अफ्रीका (South Africa) के एक रेडियो टेलिस्कोप ने भी योगदान दिया है.
मिल्की वे के केंद्र में मौजूद है ऊर्जावान इकोसिस्टम
यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स एमहर्स्ट (University of Massachusetts Amherst) के एस्ट्रोनोमर डैनियल वांग (Daniel Wang) ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने महामारी के दौरान घर पर रहते हुए इस पर काम करते हुए एक साल बिताया. वांग ने एक ईमेल के जरिए बताया कि इस तस्वीर में हम जो देख रहे हैं वो हमारी आकाशगंगा के डाउनटाउन में हो रहा हिंसक या ऊर्जावान इकोसिस्टम है.
1999 में लॉन्च हुआ 'चंद्र एक्स-रे ऑब्जर्वेटरी' 
डैनियल वांग ने कहा कि आकाशगंगा के केंद्र में बहुत सारे सुपरनोवा अवशेष, ब्लैक होल और न्यूट्रॉन तारे मौजूद हैं. प्रत्येक एक्स-रे बिंदु या विशेषता एक ऊर्जावान स्रोत का प्रतिनिधित्व करती है, जिनमें से अधिकांश केंद्र में हैं. वांग के इस काम को रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी (Royal Astronomical Society) के मासिक नोटिस के जून अंक में प्रकाशित किया जाएगा. बता दें कि 'चंद्र एक्स-रे ऑब्जर्वेटरी' को 1999 में लॉन्च किया गया था, जो अब पृथ्वी का चक्कर लगा रहा है.
धूल, ग्रह, तारें, उल्कापिंड का घर है मिल्की वे
बता दें कि हमारी गैलेक्सी का नाम मिल्की वे (Miky Way) है, जिसमें अरबों की संख्या में तारें और ग्रह मौजूद हैं. अभी तक जितने भी ग्रह खोजे गए हैं, वे सभी आकाशगंगा में मौजूद हैं. आकाशगंगा रहस्यों से भरी हुई है. इसमें धूल, ग्रह, तारें, उल्कापिंड तैर रहे हैं. आकाशगंगा चारों ओर हजारों प्रकाशवर्ष की दूरी तक फैली हुई है, लेकिन इसकी मोटाई कुछ हजार प्रकाशवर्ष ही है. इस तरह ये एक डिस्क की तरह है, जिसमें धूल, ग्रह और तारें मौजूद हैं. हमारा सौर मंडल आकाशगंगा के केंद्र से 26 हजार प्रकाशवर्ष दूर है.


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