पहली बार: वैज्ञानिकों ने खोजी एल्गी, तीन प्रकार के लिंग, जाने पूरी जानकारी

Update: 2021-07-14 04:35 GMT

पहली बार वैज्ञानिकों ने ऐसा शैवाल यानी एल्गी (Alge) खोजी गई है, जिसमें खुद तीन प्रकार के लिंग यानी सेक्स (Sex) हैं. एक ही शैवाल नर है, मादा है और तीसरा बाइसेक्सुअल भी. यह देखकर वैज्ञानिक हैरान हैं कि यह प्रकृति का कैसा अजूबा है. क्योंकि यह एल्गी इस एक मामले में इंसानों से मिलती है. इंसान भी नर, मादा और बाइसेक्सुअल होते हैं. लेकिन किसी एक ही इंसान में ये तीनों लिंग एक साथ नहीं मिलते. पर यहां इस एल्गी में मिले हैं.

करोड़ों साल पहले शैवाल के विस्फोट से ही धरती पर जीवन की शुरुआत हुई. ऐसा माना जाता है कि यहीं से इंसानों और अन्य जीवों की उत्पत्ति का आधार बना. अगर हम क्रमानुगत विकास (Evolution) की बात करें तो एल्गी इंसानों से करीब 150 करोड़ साल पहले धरती पर उत्पन्न हुई थीं. लेकिन जापान के वैज्ञानिकों की मानें तो एल्गी के सेक्स सिस्टम यानी नर और मादा का अध्ययन करके यह पता किया जा सकता है कि इनका इवोल्यूशन कैसे हुआ? (
यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो सहित जापान की कई और यूनिवर्सिटीज के शोधकर्ताओं ने पहली बार ऐसी हर रंग की एल्गी खोजी है जिसमें तीन अलग-अलग सेक्स पाए जाते हैं. इसमें नर है, मादा है और तीसरा बाइसेक्सुअल भी हैं. इस एल्गी का नाम है प्लियोडोरिना स्टारी (Pleodorina Starrii). ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी एल्गी में तीन प्रकार के सेक्स सिस्टम एक साथ देखने को मिल रहे हैं. यह जानकारी 12 जुलाई को विले ऑनलाइन लाइब्रेरी जर्नल में प्रकाशित हुई है. 
यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो के बायोलॉजिस्ट हीसायोशी नोजाकी ने कहा कि यह बेहद दुर्लभ स्थिति है. पहली बार एल्गी की कोई ऐसी प्रजाति मिली है, जिसमें तीनों सेक्स सिस्टम काम कर रहे हैं. हम पूरी दुनिया को नहीं जानते, हो सकता है कि ऐसे कई और जीव हों जिनमें इस तरह की प्रणाली विकसित हो. एल्गी को लेकर कोई खास वैज्ञानिक परिभाषाएं नहीं हैं. 
हीसायोशी कहते हैं कि ये अलग-अलग यूकैरियोटिक जीव (Eukaryotic Creatures) हैं जो फोटोसिंथेसिस के जरिए अपनी ऊर्जा विकसित करते हैं. ये प्लांट यानी पौधों की श्रेणी में भी नहीं आते. क्योंकि इनमें पौधों वाले कई गुण मौजूद नहीं हैं. न ही ये बैक्टीरिया है. हालांकि साइनोबैक्टीरिया को कभी-कभार ब्लू-ग्रीन एल्गी भी कहा जाता है. न ही ये कवक यानी फंगस हैं. 
एल्गी इतना बड़ा और विभिन्नताओं वाला ग्रुप हैं जिसकी प्रणालियों को समझना आसाना नहीं है. आमतौर पर एल्गी एसेक्सअुली (Asexually) प्रजनन करते हैं. इसमें खुद की क्लोनिंग करते हैं. या फिर कभी-कभी पार्टनर के साथ सेक्सुअली (Sexually) प्रजनन करते हैं. ये या तो हैपलॉयड (Haploid) यानी एक जोड़े क्रोमोसोम्स के साथ या फिर डिप्लॉयड (Diploid) मतलब दो सेट क्रोमोसोम्स के साथ.
कई एल्गी हर्माफ्रोडिटिक (Hermaphroditic) होते हैं, जो जीन एक्सप्रेशन के अनुसार खुद को या अपने लिंग को बदल लेते हैं. जब हर्माफ्रोडाइड समेत तीनों तरह के सेक्स मौजूद हों तब उन्हें ट्रायोसी (Trioecy) कहते हैं. लेकिन प्लियोडोरिना स्टारी (Pleodorina Starrii) इस मामले में भी अलग है. इसका बाइसेक्सुअल सेक्स सिस्टम नर और मादा दोनों के रिप्रोडक्टिव सेल रखता है. इसे हीसायोशी की टीम ने नई हैपलॉयड मेटिंग सिस्टम नाम दिया है. 
प्लियोडोरिना स्टारी (Pleodorina Starrii) 32 या 64 समान सेक्स सेल वाले वेजिटेटिव कॉलोनी बनाती है. इसमें छोटे-छोटे घूमने वाले नर और बड़ी न हिलने वाली मादा कोशिकाएं होती हैं. इंसानों की तरह ही नर सेक्स सेल स्पर्म के पैकेट्स मादा सेक्स सेल तक पहुंचाता है. ताकि उससे जुड़कर नई पीढ़ी को पैदा कर सके. दूसरी तरह बाइसेक्सुअल प्लियोडोरिना स्टारी (Pleodorina Starrii) की कहानी एकदम अलग है. 
बाइसेक्सुअल प्लियोडोरिना स्टारी (Pleodorina Starrii) या नर कॉलोनी बनाएगी या मादा कॉलोनी बनाएगी. ये नर, मादा या दोनों से एकसाथ सेक्स कर सकते हैं. वैज्ञानिक हैरान और खुश इस बात से हैं कि इस एल्गी से संबंधित अन्य प्रजातियों में इस तरह की व्यवस्था नहीं है. हीसायोशी कहते हैं कि इस खोज से हमें जीवों के सेक्शुअल बिहेवियर की उत्पत्ति का पता चलेगा.
हीसोयोशी ने बताया कि प्लियोडोरिना स्टारी (Pleodorina Starrii) का सेक्सुअल बिहेवियर एक अंतर-माध्यमिक स्तर है. यानी इसका ट्रायोसी (Trioecy) सिस्टम डायोसियस (Dioecius) यानी नर और मादा सेक्स वाला सिस्टम और मोनोइसीयस (Monoecious) जिसमें सिर्फ हर्माफ्रोडाइट मेटिंग सिस्टम होता है, उसके बीच का सिस्टम है. इसके पहले किसी एक ही जैविक प्रजाति के हैपलॉयड मेटिंग सिस्टम में तीनों सेक्स फीनोटाइप नहीं मिला था. 
पिछले 30 सालों से हीसोयोशी नोजाकी अलग-अलग प्रजातियों की एल्गी के सैंपल जमा कर रहे हैं. ये उसकी स्टडी कर रहे हैं. उन्होंने टोक्यो के बाहर सागामी नदीं से इनके सैंपल्स कलेक्ट किए हैं. इसके अलावा साल 2007 और 2013 उन्होंने कई अन्य झीलों से भी एल्गी के सैंपल जमा करके उनकी स्टडी की है. उन्होंने इन सैंपल्स का प्रजनन कराने के लिए इन्हें पोषण से वंचित रखा. इस दौरान उन्होंने देखा कि इस प्लियोडोरिना स्टारी (Pleodorina Starrii) बाइसेक्सुअल फैक्टर भी है. 
प्लियोडोरिना स्टारी (Pleodorina Starrii) के बाइसेक्सुअल कोशिका में नर जीन भी शामिल है. यह नर या मादा दोनों तरह की नई पीढ़ी को जन्म दो सकता है. हीसायोशी ने कहा कि एक ही प्रजाति में तीन तरह के सेक्स सिस्टम का होना हैरानी की बात नहीं है लेकिन एल्गी में यह नया है. हो सकता है कि कई अन्य जीवों में ऐसा सिस्टम होता हो, जिसके बारे में हमें पता न हो. यह स्टडी इवोल्यूशन जर्नल में प्रकाशित हुई है. 
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