Erasmus: हरी पूंछ वाला धूमकेतु चमकेगा आसमान पर, फिर दो हजार साल बाद होगा दीदार, जानें कहां दिखेगा?
साल 2020 में दो बड़े Comets (धूमकेतु) आसमान के चक्कर लगाते नजर आए।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वॉशिंगटन: साल 2020 में दो बड़े Comets (धूमकेतु) आसमान के चक्कर लगाते नजर आए। अब एक और धूमकेतु दस्तक देने को तैयार है। आने वाले हफ्ते में 6 गुना ज्यादा चमकदार होने वाला धूमकेतु Erasmus सूरज का चक्कर काटने में 1900 साल लगाता है। यह अभी हल्क-हल्का आसमान में दिखने लगा है लेकिन फिलहाल बिना किसी उपकरण के इसे देखा नहीं जा सकता है।
अब दो हजार साल बाद दीदार
जैसे-जैसे Erasmus सूरज के करीब जाएगा, इसकी चमक बढ़ती जाएगी और 6 गुना ज्यादा हो जाएगी। ऐस्ट्रोनॉमर्स का अनुमान है कि यह सबसे ज्यादा चमकीला 12 दिसंबर को होगा जब मरकरी (Mercury) की कक्षा में दाखिल होगा और सूरज के सबसे करीब होगा। इसके बाद यह बाहर की ओर निकलेगा। फिर यह दो हजार साल बाद ही नजर आएगा।
कहां दिखेगा?
ऐस्ट्रोनॉमी साइट स्पेस वेदर के मुताबिक अगर वीनस दिख गया तो धूमकेतु को भी देखा जा सकेगा। नीचे की ओर दक्षिणपूर्व में सूरज उदय होने से पहले इसे ढूंढें तो Hydra तारामंडल शुक्र के दायीं ओर देखा जा सकेगा। इसके पास ही चमकीला सितारा Spica है और उसके जरिए भी Erasmus को ढूंढा जा सकेगा।
कैसा दिखता है?
इस धूमकेतु को 21 सितंबर को दक्षिण अफ्रीकी ऐस्ट्रोनॉमर निकोलस इरैस्मस ने खोजा था। उन्हीं के नाम पर इसका नाम रखा गया है। ऐस्ट्रोनॉमर जेराल्ड रेमन ने 20 नवंबर को इसकी तस्वीर ली थी जिसमें यह खूबसूरत हरे रंग का दिख रहा था। रेमन ने कहा था कि इसकी पूंछ बेहतरीन है। इसे सिंगल फील्ड व्यू में कैप्चर भी नहीं किया जा सका।
वहीं, वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि धमूकेतु वक्त से साथ सिर्फ आंखों से देखना मुश्किल हो जाएगा। रिसर्चर्स का कहना है कि रोशनी के कारण इसे देखने में आम लोगों से लेकर ऐस्ट्रोनॉमर्स तक को दिक्कत होगी।
क्या होते हैं धूमकेतु?
आपको बता दें कि धूमकेतु भी (Asteroids) की तरह सूरज का चक्कर काटते हैं लेकिन वे चट्टानी नहीं होते बल्कि धूल और बर्फ से बने होते हैं। जब ये धूमकेतु सूरज की तरफ बढ़ते हैं तो इनकी बर्फ और धूल वेपर यानी भाप में बदलते हैं जो हमें पूंछ की तरह दिखता है। खास बात ये है कि धरती से दिखाई देने वाला कॉमट दरअसल हमसे बेहद दूर होता है।