टेस्ला ; टेस्ला (Tesla) और एक्स (X) के मालिक एलन मस्क (Elon Musk) अपनी नई कंपनी को लेकर सुर्खियों में हैं। उनके स्टार्टअप ‘न्यूरालिंक' (Neuralink) ने ऐलान किया है कि उसे पहले ह्यूमन ट्रायल के लिए मरीजों की भर्ती शुरू करने को लेकर एक इंडिपेंडेंट रिव्यू बोर्ड से मंजूरी मिल गई है। कंपनी ऐसे लोगों की तलाश कर रही है, जो पैरालाइसिस की चपेट में हैं और अगले 6 साल के लिए स्टडी में भाग लेने, दिमाग में एक चिप लगवाने और उसकी टेस्टिंग के लिए तैयार हैं।
न्यूरालिंक ऐसी डिवाइस मार्केट में लाना चाहती है, जो कंप्यूटर, मोबाइल फोन को सीधे मस्तिष्क की गतिविधि से कंट्रोल कर सकेगी। यानी आप सिर्फ सोचकर अपना स्मार्टफोन चला सकेंगे। इस डिवाइस का सबसे ज्यादा फायदा दिव्यांग लोगों और पैरालाइसिस की चपेट में आए लोगों को होगा।
न्यूरालिंक का कहना है कि उसका मकसद न्यूरोलॉजिकल विकारों से पीड़ित लोगों के लिए जीवन को आसान बनाना है। इसमें उसे कितनी सफलता मिलेगी, इसका अनुमान अभी नहीं लगाया जा सकता। इसी साल फरवरी में पता चला था कि चिप को बंदरों पर प्रयोग किया गया था और कई बंदरों की मौत हो गई थी। कंपनी पर पशु-क्रूरता के आरोप लगे थे। हालांकि मस्क ने आरोपों को खारिज कर दिया था।
न्यूरालिंक के प्रोजेक्ट पर पूरी दुनिया की निगाहें हैं। ह्यूमन ट्रायल के दौरान कोई हादसा होता है, तो कंपनी को बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। कंपनी का प्रोजेक्ट काफी देरी से बढ़ रहा है। एलन मस्क चाहते थे कि साल 2020 तक न्यूरालिंक को इंसानों पर ट्रायल करने के लिए जरूरी मंजूरी मिल जाए, लेकिन इसमें 3 साल की देरी हुई है।
इसी साल मई में कंपनी को इंसानों पर टेस्ट की मंजूरी दी गई थी। अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने उसे इन-ह्यूमन क्लिनिकल ट्रायल के लिए हरी झंडी दे थी, जिसकी शुरुआत अब जाकर होने जा रही है।
क्रेडिट : .gadgets360