धरती के ग्लेशियर 20 साल से हर साल 267 अरब टन पिघल रहे, अगर बढ़ा समुद्र स्तर तो जल्द होगा दुनिया का अंत

पिछले 21 साल में धरती के ग्लेशियर्स इस गति से गायब हुए हैं कि

Update: 2021-04-30 15:00 GMT

पिछले 21 साल में धरती के ग्लेशियर्स इस गति से गायब हुए हैं कि उससे समुद्र स्तर को होने वाले खतरे की गंभीरता पता चलती है। एक स्टडी में बताया गया है कि साल 2000 के बाद से हर साल 267 अरब टन ग्लेशियर गायब हुए हैं। वैश्विक समुद्र स्तर में होने वाली बढ़त का 21% हिस्सा इसी कारण रहा। फ्रांस के रिसर्चर्स ने 2 लाख ग्लेशियर्स के हाई रेजॉलूशन मैप्स के अनैलेसिस में यह पाया है कि ये इन दो दशकों में कैसे बदले हैं और इसमें चिंताजनक नतीजे दिखे हैं। अनैलेसिस में आशंका जताई गई है कि ग्लेशियर मास (द्रव्यमान) हर साल 48 अरब टन की दर से गायब हो रहा है।

20 साल के डेटा ने खोला राज
स्टडी में बताया गया है, 'कई क्षेत्रों में मास में आए बदलाव के पैटर्न समझने से हमें अलग-अलग ट्रेंड दिखते हैं जो दशकों के बीच अलग-अलग बारिश और तापमान के बारे में बताते हैं।' यूनिवर्सिटी ऑफ टूलूज की टीम ने दुनिया के करीब सारे 2.17 लाख ग्लेशियर्स के हाई-रेजॉलूशन मैप देखे। इनमें सैटलाइट और एरियल तस्वीरें थीं जिनसे यहां आया बदलाव पता चला। इनके आधार पर 2000-2019 के बीच ऊंचाई में आए बदलाव का आकलन किया गया जिसकी पुष्टि डेटा से हुई। इसके आधार पर वॉल्यूम और मास में बदलाव कैलकुलेट किया गया। 

तेजी से पिघल रही बर्फ
स्टडी के नतीजों में चिंताजनक बात यह सामने आई है कि इन 20 सालों में ग्लेशियर्स की बर्फ का 267 गीगाटन हिस्सा हर साल खो गया। वैश्विक समुद्र स्तर में इस दौरान जो बढ़त हुई उसका 21% हिस्सा यही रहा है। रिसर्चर्स ने ऐसे 7 क्षेत्रों की पहचान की है जहां ग्लेशियर मास लॉस का 83% हिस्सा रहा हो। सिर्फ दो क्षेत्रों में 20 सालों में ग्लेशियर से बर्फ पिघलना धीमा होता दिखा। रिसर्चर में कहा गया है कि समय के साथ ग्लेशियर कैसे पिछले और कैसे इन्होंने आज की हाइड्रॉलजी को बदला, समुद्र स्तर के बढ़ने में योगदान दिया, इसे समझने से भविष्य में बदलाव किए जा सकते हैं।

अरबों के लिए खाने और पानी का संकट

समुद्रस्तर बढ़ने से तटीय इलाकों में रह रहे लोगों और बर्फ में रहने वाले जीवों पर संकट खड़ा हो सकता है। स्टडी के मुताबिक करीब 20 करोड़ लोग ऐसे हैं जो इन क्षेत्रों में रह रहे हैं। ये क्षेत्र सदी के आखिर तक बढ़ते समुद्र स्तर के कारण हाई-टाइड का शिकार हो सकते हैं। एक अरब लोगों के सामने अगले तीस साल में पानी और खाने की कमी हो सकती है। रिसर्चर्स ने उम्मीद जताई है कि इन नतीजों की मदद जलवायु परिवर्तन संबंधी नीतियां बनाने में मदद मिलेगी।
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