धरती की है हार्टबीट और एक नब्ज, जानें रहस्य

मनुष्य की तरह पृथ्वी की भी एक हार्टबीट यानी धड़कन

Update: 2021-10-08 14:13 GMT

मनुष्य की तरह पृथ्वी की भी एक हार्टबीट यानी धड़कन है। पृथ्वी की यह धड़कन मानव की तरह ही उसके जिंदा होने का सबूत है। एक स्टडी में इस रहस्य का खुलासा हुआ है। इस स्टडी में कई नई जानकारियां सामने आई हैं। आईए जानते हैं आखिर ये रहस्य क्या है?


लाखों साल पुरानी है नब्ज

अगर पृथ्वी और इंसान के अस्तित्व की तुलना की जाएगी तो मानव जीवन इसके आगे कुछ भी नहीं है। पृथ्वी की भी एक जिंदगी है और एक दिमाग है जो एक प्रकृति है और ये उसी के मुताबिक बर्ताव भी करती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि धरती पर कई ऐसी चीजें होती हैं जिसके बारे में इंसान के लिए अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। इसको नियंत्रित करने के बारे में किसी को सोचना भी नहीं चाहिए।

न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के जियोलॉजिस्ट माइकल रैम्पिनो धरती के रहस्यों के बारे में जानना चाहते थे। इसलिए उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर धरती को लेकर एक रिसर्च किया। इस रिसर्च में हैरान करने वाली जानकारियां सामने आईं। इस रिसर्च में खुलासा हुआ कि पृथ्वी की अपनी एक हार्टबीट और नब्ज भी है जो 27.5 मिलियन साल की हो चुकी है।

इस स्टडी में पता चला है कि अब अगली बार धरती का दिल करीब 2 करोड़ साल बाद धड़केगा। इसका मतलब यह हुआ कि 2 करोड़ साल के बाद धरती पर फिर प्रलय आएगी। माइकल बताते हैं कि पृथ्वी पर घटने वाली छोटी-मोटी प्राकृतिक घटनाएं कोई आपदा नहीं हैं। बड़ी आपदा उस समय आएगी जब धरती का दिल धड़केगा और उसकी भूगर्भीय नसों में पल्स दौड़ेने लगेगा।

जानिए कब आएगी प्रलय

माइकल का कहना है कि आकड़ों के मुताबिक, यह एक सामान्य भूगर्भीय प्रक्रिया है जो अचानक घटती है। कई भूगर्भीय हलचलों का आपस में एक संबंध होता है। जब सारे क्रम एक साथ जुड़ते हैं, तब उस समय धरती का दिल धड़कता है। यह उसी तरह है जैसे किसी इंसान की सांस अटक जाए और वह हाथ-पैर मारने लगे। ठीक वैसे ही धरती की भी धड़कन अटकी हैं जैसे ही एक बार पूरी होगी। भारी तबाही के बाद सबकुछ सही हो जाएगा।

माइकल और उनकी टीम की रिपोर्ट के मुताबिक, स्टडी में खुलासा हुआ है कि जब धरती सांस लेती है, तो समुद्री और गैर-समुद्री जीवों का सामूहिक संहार होता है। सुनामी जैसी भयानक घटनाएं होती हैं। महाद्वीप तबाह हो जाते हैं और कुछ समुद्र में समा जाते हैं और कुछ अंदर से बाहर आ जाते हैं। पृथ्वी के चुंबकीय शक्ति में परिवर्तन आ जाता है। टेक्टोनिक प्लेट आपस में टकराकर या अलग होकर संतुलन बनाने की कोशिश करते हैं।
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