पुर्तगाल में पकड़ी गई डायनासोर के जमाने की दुर्लभ शार्क, 8 करोड़ साल से समुद्र में करती है राज

Update: 2022-05-05 12:45 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पुर्तगाल में मछुआरों ने डायनासोर के जमाने की एक बेहद दुर्लभ शार्क को पहली बार पकड़ा है। इस शार्क के मुंह में कील से भी तेज 300 नुकीले दांत मौजूद हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि अत्यंत दुर्लभ यह शार्क करीब 8 करोड़ साल से समुद्र पर राज करती है। इस समुद्री राक्षस को फ्रिल्ड शार्क के नाम से जाना जाता है। इसकी लंबाई 5 फीट बताई जा रही है। इतने लंबे समय से समुद्र में फ्रिल्ड शार्क की मौजूदगी के कारण वैज्ञानिक इस जीव को जीवित जीवाश्म के नाम से भी जानते हैं। इस शार्क को समुद्र में 2000 मीटर की गहराई से पकड़ा गया है।

डायनासोर के जमाने से मौजूद है यह शार्क
पुर्तगाली न्यूज चैनल SIC Noticisias TV ने बताया कि इस मछली को यूरोपीय यूनियन के साथ काम करने वाले शोधकर्ताओं को सौंप दिया गया है। ये शोधकर्ता ईयू के साथ मिलकर वाणिज्यिक मछली पकड़ने के परिणामस्वरूप बायकैच या अवांछित कैच की संख्या को कम करने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जब डायनासोर पृथ्वी पर घूमते थे, तब से फ्रिल्ड शार्क समुद्र के गहरे पानी में तैर रही है। इस शार्क के विशाल जबड़े स्क्वीड और दूसरी मछलियों को आसानी से शिकार बनाते हैं।
सांप की तरह दिखता है शरीर, 300 पैने दांतों से करती है शिकार
पुर्तगाली इंस्टीट्यूट फॉर द सी एंड एटमॉस्फियर के बयान के अनुसार, शोधकर्ताओं ने फ्रिल्ड शार्क का शरीर पतला और लंबा होता है, जो देखने में किसी सांप की तरह नजर आता है। अल्गार्वे विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मार्गरिडा कास्त्रो ने सिक नोटिसियास को बताया कि शार्क के 300 दांत इसे अचानक स्क्वीड, मछली और अन्य शार्क को फंसाने में मदद करते हैं। इनके दांत इतने तेज होते हैं कि एक बार फंसा जीव जिंदा बाहर नहीं निकल सकता है।
समुद्र की अथाह गहराई में छिपे रहती है यह दुर्लभ शार्क
फ्रिल्ड शार्क अटलांटिक महासागर के गहराई वाले इलाकों के अलावा प्रशांत महासागर में ऑस्ट्रेलिया और जापान के तटों पर पाई जाती है। बेहद कम संख्या और आसानी से पकड़ में न आने के कारण वैज्ञानिकों को इस समुद्री जीव के बारे में बहुत ही सीमित जानकारी है। यह स्पष्ट नहीं है कि समुद्र से बाहर निकाले जाने के बाद यह मछली कितने समय तक जीवित रही। वैज्ञानिकों ने बताया कि फ्रिल्ड शार्क गहराई में, अंधेरे और ठंडे पानी में छिपे होते हैं। इस कारण इनकी मौजूदगी काफी दुर्लभ मानी जाती है।


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