भारत के तीसरे मून मिशन चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3) ने बुधवार को पांचवीं और अंतिम बार अपनी कक्षा में बदलाव किया। भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO) ने इसकी पुष्टि की है। बताया है कि चंद्रयान-3 अब चांद की सतह के और करीब आ गया है। इसकी चांद से सबसे कम दूरी 153 किलोमीटर और अधिकतम दूरी 163 किलोमीटर रह गई है। इसरो ने कहा है कि उसने चंद्रयान-3 के चंद्रमा तक पहुंचने की सभी प्रक्रियाएं पूरी कर ली हैं। अब प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल को अलग करने की तैयारी की जाएगी।
एक ट्वीट में इसरो ने लिखा, ‘‘आज की सफल प्रक्रिया संक्षिप्त अवधि के लिए आवश्यक थी। इसके तहत चंद्रमा की 153 किलोमीटर x 163 किलोमीटर की कक्षा में चंद्रयान-3 स्थापित हो गया, जिसका हमने अनुमान किया था। इसके साथ ही चंद्रमा की सीमा में प्रवेश की प्रक्रिया पूरी हो गई। अब प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर अलग होने के लिए तैयार हैं।''
इसरो ने बताया कि 17 अगस्त को चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल से लैंडर मॉड्यूल को अलग करने की योजना है।पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, 14 जुलाई को लॉन्च होने के बाद चंद्रयान-3 ने 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था। उसके बाद 6, 9 और 14 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में बदलाव कर उसे चांद के करीब ले जाया गया था। योजना के अनुसार, चंद्रयान-3 के 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है।
इसरो के सूत्रों के हवाले से पीटीआई ने लिखा है कि अलग होने के बाद लैंडर को एक कक्षा में स्थापित करने के लिए ‘‘डीबूस्ट'' (धीमा करने की प्रक्रिया) से गुजरने की उम्मीद है। इसरो अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने हाल में कहा था कि लैंडिंग का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा लैंडर के वेग को 30 किलोमीटर की ऊंचाई से अंतिम लैंडिंग तक लाने की प्रक्रिया है। वहां हमें अपनी काबिलियत दिखानी होगी। एस. सोमनाथ ने कहा कि हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि ईंधन की खपत कम हो, दूरी की गणना सही हो और सभी गणितीय मानक ठीक हों।
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