इस नई तकनीक से सर्वाइकल कैंसर का इलाज शुरू

केजीएमयू के क्वीनमैरी में सर्वाइकल (बच्चेदानी के मुंह) कैंसर का नयी तकनीक से इलाज शुरू हो गया है

Update: 2021-01-01 04:38 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। 95 फीसदी तक कारगर है थर्मोकॉग्युलेशन तकनीक: केजीएमयू के क्वीनमैरी में सर्वाइकल (बच्चेदानी के मुंह) कैंसर का नयी तकनीक से इलाज शुरू हो गया है। स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग के डॉक्टरों ने सर्वाइकल कैंसर के इलाज की नयी तकनीक थर्मोकॉग्युलेशन पर शोध किया और उम्मीद के मुताबिक नतीजे आने के बाद मरीजों का उपचार शुरू कर दिया।

क्वीनमैरी की विभागाध्यक्ष डॉ. उमा सिंह के नेतृत्व में सर्वाइकल कैंसर के इलाज की नयी तकनीक की खोज की गयी। बच्चेदानी के मुंह के कैंसर की पहचान के लिए 1500 मरीजों की स्क्रीनिंग की गई। शोध में महिलाओं की अलग-अलग विधियों से जांच हुई। करीब 160 मरीजों में सर्वाइकल कैंसर की शुरुआती लक्षण देखने को मिले, जिसे प्री सर्वाइकल कैंसर माना गया। कैंसर की इस अवस्था वाली 80 महिलाओं को क्रायोथेरेपी दी गई तथा 80 मरीजों पर थर्मोकॉग्युलेटर तकनीक अपनायी गई। शोध में देखा गया कि जिन महिलाओं को क्रायोथेरेपी दी गयी, उनमें इलाज के बाद पानी आने की समस्या शुरू हो गयी। जबकि जिन मरीजों का थर्मो कॉग्युलेटर तकनीक से इलाज हुआ उनमें किसी प्रकार की समस्या नहीं हुई। इलाज के दौरान एक मिनट का समय लगा जिसमें शुरुआती कैंसर की सेल नष्ट हो गए।

क्वीनमैरी की डॉ. रेखा सचान ने बताया कि यह तकनीक 95 प्रतिशत कारगर है। यह शोध इंडियन जनरल ऑफ कैंसर फॉर पब्लिकेशन में प्रकाशित किया गया है। अभी तक सर्वाइकल कैंसर के शुरूआती समस्या का इलाज क्रायोथेरेपी (ठंडी सिंकाई) से किया जाता रहा है। थर्मोकॉग्युलेटर को 100 डिग्री के तापमान पर गर्म करके उसका प्रोब (मशीन के आगे का हिस्सा) घाव की जगह पर लगा देते हैं। इससे कैंसर कोशिकाएं जल जाती हैं। कैंसर की आशंका खत्म हो जाती है। अस्पताल में एक थर्मो कॉग्युलेटर है। दूसरी मशीन के लिए प्रस्ताव भेजा गया है।

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