कोरोना के लिए ब्रेथ टेस्ट: स्वीडन के वैज्ञानिकों ने बनाए 2 नए डिवाइस
फिलहाल कोरोना जांच के लिए RT-PCR टेस्ट और रैपिड एंटीजन टेस्ट का इस्तेमाल किया जाता है
फिलहाल कोरोना जांच के लिए RT-PCR टेस्ट और रैपिड एंटीजन टेस्ट का इस्तेमाल किया जाता है। पर हाल ही में स्वीडन के वैज्ञानिकों ने एक नई स्टडी में बताया है कि ब्रेथ टेस्ट यानी सांस की जांच करके भी कोरोना संक्रमण का पता लगाया जा सकता है।
ऐसे हुई स्टडी
यह स्टडी इंफ्लुएंजा एंड अदर रेस्पिरेटरी वायरस जर्नल में प्रकाशित हुई है। इसे यूनिवर्सिटी ऑफ गोथेनबर्ग के शोधकर्ताओं ने किया है।
रिसर्च के लिए पार्टिकल्स इन एक्सहेल्ड एयर (PExA) और ब्रेथ एक्सप्लोर (BE) नाम के डिवाइस विकसित किए गए।
स्टडी में तीन तरीकों से कोरोना सैंपल्स इकट्ठे किए गए।
पहले तरीके में रिसर्च में शामिल लोगों द्वारा 20 बार सांस ली और छोड़ी गई। दूसरे तरीके में लंबी गहरी सांस छोड़कर थोड़ी देर रोकी गई। तीसरे तरीके में डिवाइस में तीन बार खांसा गया।
स्टडी के नतीजे
वैज्ञानिकों ने पाया कि डिवाइस में खांसने से ब्रेथ टेस्ट सबसे अच्छा रिजल्ट देता है। दूसरे नंबर पर गहरी सांस छोड़ना और तीसरे नंबर पर नॉर्मल सांस लेना आता है।
रिजल्ट के मुताबिक, खांसने वाले 25 में से 8 सैंपल्स कोरोना पॉजिटिव पाए गए। वहीं गहरी सांस वाले 25 में से 3 और नॉर्मल सांस वाले 25 में से 2 सैंपल्स कोरोना पॉजिटिव मिले। ये सभी सैंपल्स PExA के द्वारा लिए गए थे।
BE से लिए गए नॉर्मल सांस वाले सैंपल्स में से 2 पॉजिटिव पाए गए। यह हाथ से चलाने वाला डिवाइस है।
वैज्ञानिकों की राय
स्टडी में शामिल एमिलिया विकलुंड ने कहा, "इन ब्रेथ टेस्ट्स के जरिए हम बहुत छोटे कणों का पता लगा सकते हैं। उनका डायमीटर 5 माइक्रोमीटर से कम है। हम चंद सांसों में ही वायरस पार्टिकल के जेनेटिक कॉम्पोनेंट RNA का पता लगाने में कामयाब रहे हैं।"
PExA विकसित करने वाली प्रोफेसर एना-कैरिन ओलिन कहती हैं कि सांस में कोरोना के कण नाक से लिए गए सैंपल के एक करोड़वां हिस्सा थे। उसके बावजूद हम जांच में सफल हुए। इस खोज पर आगे और रिसर्च की जा रही है।