अध्ययन में मिली बड़ी जानकारी, क्या डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन से बच्चों को ज्यादा खतरा?
अध्ययन में मिली बड़ी जानकारी
कोरोना महामारी की शुरुआत से ही संक्रमण को कुछ विशेष आयुवर्ग वाले लोगों के लिए बड़ी चुनौती के रूप में देखा जाता रहा है। विशेषकर बच्चों और उम्रदराज लोगों में संक्रमण के जोखिम को लेकर अध्ययनों में अलग-अलग दावे किए जाते रहे हैं। ज्यादातर अध्ययनों का मानना है कि वयस्कों की तुलना में बच्चों में संक्रमण और गंभीर रोग का खतरा कम होता है। वहीं अगर बच्चों को कोविड-19 वैक्सीन दे दी जाए तो उन्हें अतिरिक्त सुरक्षित किया जा सकता है। हालांकि मौजूदा समय में दुनियाभर में जिस तरह से ओमिक्रॉन और इसके सब-वैरिेएंट्स के मामले बढ़ रहे हैं, इसने लोगों की मुसीबतों को और बढ़ा दिया है।
ओमिक्रॉन वैरिएंट से बच्चों में संक्रमण और गंभीरता के जोखिम को लेकर अध्ययन कर रही शोधकर्ताओं की टीम ने बड़ा दावा किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि 5 साल से कम आयु वाले बच्चों में डेल्टा वैरिएंट की तुलना में ओमिक्रॉन से संक्रमण की स्थिति में गंभीरता का खतरा कम पाया गया है। इस वैरिएंट से कुछ विशेष स्थितियों को छोड़कर बच्चों में गंभीर संक्रमण का जोखिम बहुत कम होता है। हालांकि ध्यान देने वाली बात यह है कि डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन की संक्रामता दर 6-8 गुना अधिक हो सकती है, जिसको लेकर विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। आइए आगे इस अध्ययन के बारे में विस्तार से जानते हैं।
बच्चों में गंभीर मामलों का खतरा कम
बच्चों में संक्रमण के जोखिम को लेकर किए गए इस अध्ययन के निष्कर्ष को जामा पीडियाट्रिक्स जर्नल में प्रकाशित किया गया है। बच्चों में ओमिक्रॉन और डेल्टा से संक्रमण की स्थिति में स्वास्थ्य समस्याओं को जानने के लिए यह पहला सबसे बड़े पैमाने का अध्ययन है। शोध में विशेषज्ञों ने पाया कि अगर बच्चे ओमिक्रान वैरिएंट के शिकार हो भी जाते हैं तो वयस्कों की तुलना में इनमें गंभीर मामले कम देखे जा रहे हैं। हालांकि वैरिएंट की अधिक संक्रामकता दर के चलते बच्चों में भी संक्रमण का खतरा बना हुआ है।
अध्ययन में क्या पता चला?
यह अध्ययन यूएस स्थित केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किया गया। इसके लिए टीम ने अमेरिका में 651,640 से अधिक बच्चों के इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड का विश्लेषण किया। इसमें 22,772 से अधिक बच्चे ओमिक्रॉन और करीब 66,000 बच्चों के डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित होने के रिकॉर्ड थे। कई मापदंडों को लेकर किए गए इस अध्ययन के निष्कर्ष में पाया गया कि ओमिक्रॉन से संक्रमित ज्यादातर बच्चों की औसत आयु डेढ़ साल थी।
अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत कम
शोधकर्ताओं ने अध्ययन के आधार पर बताया कि डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन संक्रमित बच्चों को इमरजेंसी रूम में भर्ती करने की जरूरत 16 प्रतिशत जबकि वेंटिलेटर पर रखने की जरूरत 85 प्रतिशत तक कम पाई गई। डेल्टा से संक्रमित 3.3 प्रतिशत बच्चों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत थी, वहीं ओमिक्रॉन संक्रमित बच्चों में यह आंकड़ा घटकर 1.8 प्रतिशत के करीब आ गया है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
अध्ययन के निष्कर्ष में केस वेस्टर्न रिजर्व स्कूल ऑफ मेडिसिन के प्रोफेसर रोंग जू कहते हैं, डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन की गंभीरता कम है, पांच साल से कम आयु के बच्चों में भी इसका कम जोखिम देखा जा रहा है। चूंकि अभी बच्चों का वैक्सीनेशन नहीं हुआ है और जिस तरह से कोविड-19 के मस्तिष्क, हृदय, प्रतिरक्षा प्रणाली पर दीर्घकालिक दुष्प्रभाव देखे जा रहे हैं, ऐसे में बच्चों को संक्रमण से बचाने पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
बच्चों में कोविड-19 संक्रमण के दीर्घकालिक प्रभावों के बारे में अभी भी ज्यादा ज्ञात नहीं है और यह स्थिति चिंताजनक हो सकती है।
स्रोत और संदर्भ
Incidence Rates and Clinical Outcomes of SARS-CoV-2 Infection With the Omicron and Delta Variants in Children Younger Than 5 Years in the US
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