जब धरती के वायुमंडल में 57000 किमी की रफ्तार से घुसा ऐस्टरॉइड, आधी रात में जग मगाए ये देश

इस घटना की तस्वीरें अपने कैमरों में कैद की हैं।

Update: 2021-02-07 13:25 GMT

वॉशिंगटन: पिछले महीने एक ऐस्टरॉइड ने धरती के वायुमंडल में 57000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से प्रवेश किया। वायुमंडल के घर्षण के कारण उस ऐस्टरॉइड से इतनी रोशनी निकली कि यूरोप के कई देश रात में जगमग हो गए। यह ऐस्टरॉइड सबसे पहले बेल्जियम में नजर आया। उसके बाद इसे नीदरलैंड, ब्रिटेन और फ्रांस के आसमान में देखा गया। इन देशों में कई लोगों ने इस घटना की तस्वीरें अपने कैमरों में कैद की हैं।

16 किमी प्रति सेकेंड थी रफ्तार
अंतर्राष्ट्रीय उल्का संगठन (IMO) के विश्लेषण से पता चला है कि यह ऐस्टरॉइड 16 किलोमीटर प्रति सेकंड या 57,000 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की गति से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश किया था। आईएमओ ने यह भी कहा कि इस दौरान यह ऐस्टरॉइड धरती की सतह से लगभग 27 किलोमीटर ऊपर अपने चमकदार स्थिति के अंत पर पहुंच गया।

नीदरलैंड के वेधशाला में कैद हुआ पूरा नजारा
नीदरलैंड के अल्मेरे में लगे फायरबॉल रिकवरी और इंटरप्लेनेटरी ऑब्जर्वेशन नेटवर्क के कैमरों ने इस घटना को सबसे पहले देखा था। इस कैमरे से फायरबाल की उस घटना को भी रिकॉर्ड किया गया जहां किसी ऐस्टरॉइड की टक्कर किसी दूसरे ऐस्टरॉइड से होती है। जिसके बाद इससे निकले छोटे-छोटे ऐस्टरॉइड के टुकड़ों ने आसमान में रात को ही उजाला कर दिया।

रूस में गिर चुके हैं दो ऐस्टरॉइड
विशेषज्ञों ने बताया कि ये ऐस्टरॉइड आकार में इतना छोटा था कि वायुमंडल के घर्षण से ही जलकर खत्म हो गया। इससे पहले 2013 में रूस के चेल्याबिंस्क में एक उल्का विस्फोट हुआ था। तब एक बड़े से ऐस्टरॉइड ने धरती के सतह पर गड्ढा बना दिया था। 1908 में, साइबेरिया के तुंगुस्का में भी एक ऐस्टरॉइड ने हिट किया था।

अगले 100 सालों तक NASA की नजर
NASA का Sentry सिस्टम ऐसे खतरों पर पहले से ही नजर रखता है। इसमें आने वाले 100 सालों के लिए फिलहाल 22 ऐसे ऐस्टरॉइड्स हैं जिनके पृथ्वी से टकराने की थोड़ी सी भी संभावना है। इस लिस्ट में सबसे पहला और सबसे बड़ा ऐस्टरॉइड 29075 (1950 DA) जो 2880 तक नहीं आने वाला है। इसका आकार अमेरिका की एम्पायर स्टेट बिल्डिंग का भी तीन गुना ज्यादा है और एक समय में माना जाता था कि पृथ्वी से टकराने की इसकी संभावना सबसे ज्यादा है।



क्या होते हैं Asteroids?
ऐस्टरॉइड्स वे चट्टानें होती हैं जो किसी ग्रह की तरह ही सूरज के चक्कर काटती हैं लेकिन ये आकार में ग्रहों से काफी छोटी होती हैं। हमारे सोलर सिस्टम में ज्यादातर ऐस्टरॉइड्स मंगल ग्रह और बृहस्पति यानी मार्स और जूपिटर की कक्षा में ऐस्टरॉइड बेल्ट में पाए जाते हैं। इसके अलावा भी ये दूसरे ग्रहों की कक्षा में घूमते रहते हैं और ग्रह के साथ ही सूरज का चक्कर काटते हैं। करीब 4.5 अरब साल पहले जब हमारा सोलर सिस्टम बना था, तब गैस और धूल के ऐसे बादल जो किसी ग्रह का आकार नहीं ले पाए और पीछे छूट गए, वही इन चट्टानों यानी ऐस्टरॉइड्स में तब्दील हो गए। यही वजह है कि इनका आकार भी ग्रहों की तरह गोल नहीं होता। कोई भी दो ऐस्टरॉइड एक जैसे नहीं होते हैं।


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