अंतरिक्ष में कचरा प्रबंधन का नया तरीका खोजा गया, पहली बार हुआ ऐसा

Update: 2022-07-08 10:03 GMT

न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

नई दिल्ली: स्पेस स्टेशन (Space Station) पर ज्यादातर समय 6 से 8 अंतरिक्ष यात्री रहते हैं. काम करते हैं. खाते-पीते हैं. मरम्मत करते हैं. यानी वहां कचरा भी निकलता होगा. जिसे आप इंग्लिश में ट्रैश, वेस्ट, गार्बेज (Trash, Waster, Garbage) जैसे शब्दों से बुलाते हैं. सिर्फ धरती पर ही कचरे का प्रबंधन (Waste Management) नहीं होता. ये काम स्पेस स्टेशन में भी किया जाता है. लेकिन अब अंतरिक्षयात्रियों को स्पेस स्टेशन में कचरा प्रबंधन का नया तरीका मिल गया है. 

पिछले हफ्ते यानी 2 जुलाई को स्पेस स्टेशन से 78 किलोग्राम कचरा धरती पर वापस भेजा गया. इस कचरे को खास तरह के विशेष बैग में रखा गया था. इस बैग में कचरे को रखकर स्पेस स्टेशन से तेज गति में धरती की ओर छोड़ दिया गया है. इस बैग को बनाया है नैनोरैक्स (Nanoracks) नाम की कंपनी ने. पहली बार इस ट्रैश बैग में कचरा रखकर ट्रायल के तौर पर धरती की तरफ भेजा गया है. 
इस ट्रैश बैग में फोम, पैकिंग मटेरियल, कार्गो ट्रांसफर बैग, ऑफिस सप्लाई, क्रू हाइजीन प्रोडक्ट्स, क्रू के कपड़े आदि भेजे गए हैं. आमतौर पर अंतरिक्ष से कचरे को कार्गो शिप से वापस भेजा जाता है. यानी जिस कार्गो शिप से सामान जाता है, उसी से कचरा वापस धरती पर भेज दिया जाता है. लेकिन ये सिस्टम ज्यादा बेहतर और सस्ता है. एक बार ट्रैश बैग ऊपर पहुंच जाए तो वहां रखा जा सकता है. बाद में उसमें कचरा रखकर धरती पर फेंका जा सकता है. 
हार्वर्ड स्मिथसोनियस सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के एस्ट्रोनॉमर जोनाथ मैक्डॉवल ने इस एयरलॉक ट्रैशबैग इजेक्शन सिस्टम के बारे में ट्वीट किया है. वो इस ट्रैश बैग के वायुमंडल में आने का इंतजार कर रहे हैं. साथ ही उसे ट्रैक कर रहे हैं. अभी तक यह नहीं बताया गया है कि यह ट्रैश बैग वायुमंडल में कब आएगा. ये खुलासा कंपनी ने भी नहीं किया है. 
अब तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से कचरे को कार्गोशिप में रखकर वायुमंडल पार कराते हुए धरती पर भेज दिया जाता था. इस कार्गो शिप में कई बार हार्डवेयर जैसे रूसी पायर्स मॉड्यूल या फिर एस्ट्रोनॉट्स के गैर-जरूरी या उपयोग किए गए सामान होते थे. कई बार स्पेसवॉक के दौरान निकले छोटे यंत्र, उपकरण और हिस्से भी शामिल होते थे. 
ये नया ट्रैशबैग इजेक्शन सिस्टम स्पेस स्टेशन के लिए नया नहीं है. जोनाथन मैक्डॉवल ने बताया कि 1970 और 1980 में सोवियत सलयुत स्पेस स्टेशन से ट्रैशबैग धरती की ओर फेंके जाते थे. आखिरी बार रूसी स्पेस स्टेशन मीर से सितंबर 1996 में ट्रैशबैग को इजेक्ट किया गया था. यह ट्रैशबैग दो साल बाद मई 1998 में धरती के वायुमंडल में अपने आप प्रवेश कर गया था. 
23 दिसंबर 2020 को स्पेस स्टेशन के बाहरी हिस्से में बिशप एयरलॉक (Bishop Airlock) लगाया गया था. ये दुनिया का पहला कॉमर्शियल एयरलॉक था. इसे स्पेस स्टेशन पर 6 दिसंबर 2020 को भेजा गया था. इसमें 907 किलोग्राम सामान आ सकता था. नैनोरैक्स ने अपने प्रेस रिलीज में लिखा है कि उनके ट्रैशबैग की पूरी क्षमता 272 किलोग्राम है. यह एक खास तरह का वेस्ट कंटेनर है. इसके इजेक्शन सिस्टम नैनोरैक्स क्यूबसैट और स्मालसैट डेप्लॉयर्स के सिस्टम पर बना है. ये वो सिस्टम हैं जो आमतौर पर स्पेस स्टेशन से छोटे सैटेलाइट्स को ऑर्बिट में तैनात करते हैं.

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