आप भी करते हैं शाकम्भरी माता का पूजा तो अवश्य पढ़ें ये कथा
आज से शाकम्भरी उत्सव शुरू हो गया है। ऐसे में अगर आप मां शाकम्भरी की पूजा कर रहे हैं
जनता से रिश्ता वेबडेसक | आज से शाकम्भरी उत्सव शुरू हो गया है। ऐसे में अगर आप मां शाकम्भरी की पूजा कर रहे हैं तो इस कथा को अवश्य पढ़ें। देवी भागवतम के अनुसार, एक बेहद ही क्रूर राक्षस था जिसका नाम दुर्गम था। उसने तीनों लोकों में इतना अत्याचार किया था कि देवताओं को तक स्वर्ग छोड़ना पड़ा था। दुर्गम राक्षसे ने तमाम कष्ट झेले और तपस्या की थी जिसके फलस्वरूप उसने भगवान को प्रसन्न किया और चारों वेदों का अधिग्रहण कर लिया। उसे एक ऐसा वरदान प्राप्त था कि उसे कोई देवता नहीं मार पाएगा। साथ ही यह भी कहा जाता है कि उसे यह वरदान भी प्राप्त था कि देवताओं के लिए की जाने वाली सभी पूजा और प्रार्थनाएं उसके पास पहुंचेगी। उसकी शक्तियां बहुत बढ़ गई थीं। उसने सभी को परेशान करना शुरू कर दिया था।
चारों ओर त्राहीमाम मच गया था। इसके परिणामस्वरूप काफी लंबे समय तक पृथ्वी पर बारिश नहीं हुई। इससे पृथ्वी पर अकाल की स्थिति पैदा हो गई थी। तपस्वी, साधु एवं ऋषि-मुनि हिमालय की गुफाओं में पलायन कर गए थे। इन सभी ने देवी मां को प्रसन्न करने और इस समस्या से निजात पाने के लिए यज्ञ और तप शुरु कर दिया।
तप और यज्ञ से प्रसन्न होकर मां ने उनके कष्टों को सुना और आदि देवी ने मां शाकम्भरी को आदेश दिया कि वो सभी में अनाज, फल, जड़ी-बूटियां, दालें, सब्जियां और साग-भाजी आदि वितरित करे। इसके बाद से ही देवी का यह स्वरूप शाकम्भरी देवी के नाम से प्रसिद्ध हुआ। ऐसा कहा जाता है कि लोगों की ऐसी हालत देख माता शाकम्भरी की आंखों से लगातार 9 दिनों आंसू बह रहे थे। उनके आंसू शीघ्र ही एक नदी में परिवर्तित हो गए। इसके बाद अकाल हमेशा के लिए खत्म हो गया।
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