कुंडली के सभी ग्रह दोष को दूर करने के लिए सावन में भगवान शिव के नीलकंठ रूप की करें उपासना
हिंदू धर्म ग्रंथों में भगवान शिव के अनेक स्वरूपों का वर्णन मिलता है. उन्हें अनादि और अनंत स्वरूप वाला कहा गया है.
Sawan 2021 Neelkanth Mahadev: हिंदू धर्म ग्रंथों में भगवान शिव के अनेक स्वरूपों का वर्णन मिलता है. उन्हें अनादि और अनंत स्वरूप वाला कहा गया है. भगवान शिव कल्याणमय, देवाधिदेव महादेव, भोलेनाथ हैं. उन्होंने विश्व कल्याण के लिए अनेकों रूप धारण किये हैं. उन्हीं रूपों में से एक रूप नीलकंठ महादेव का है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन माह में भगवान शिव के नीलकंठ स्वरूप का विधि पूर्वक पूजा उपासना करने से कुंडली के सभी ग्रह दोष समाप्त हो जाते हैं. जीवन खुशहालियों से भर जाता है. घर-परिवार में सुख शांति बनी रहती है. धनागमन का स्रोत खुल जाता है. आइए जानते हैं भगवान शिव के नीलकण्ठ रूप की कथा और उसका महत्व.
जानें भगवान शिव के नीलकंठ महादेव बनने की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, जब देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था. उस समय समुद्र मंथन के दौरान 14 रत्न निकले थे. इसके साथ ही इसी समुद्र मंथन में कालकूट नामक विष भी निकला था. इस विष के प्रभाव से चारों तरफ जीव जंतु मरने लगे और हाहाकार मच गया. तब भगवान शिव ने जगत कल्याण के लिए उस विष को पी गए. माता पार्वती ने भगवान शिव को विष के प्रभाव से बचाने के लिए अपना हाथ लगा कर विष को उनके गले में ही रोक दिया. विष इतना भयंकर था कि इसके प्रभाव से भगवान शिव का गला नीला पड़ गया. उसी समय से भगवान शिव को नीलकंठ कहा जानें लगा. सभी देवी-देवता भगवान शिव के नीलकंठ स्वरूप की पूजा-अर्चना किये.
नीलकंठ महादेव की पूजा का महत्व
भगवान शिव ने नीलकंठ का स्वरूप सम्पूर्ण सृष्टि के कल्याणार्थ धारण किया था. मान्यता है कि इनके इस स्वरूप का पूजन करने से भक्तों के सभी कष्ट व संकट दूर हो जाते हैं. उनके सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते है. नीलकंठ महादेव का पूजन भगवान शिव के "ऊँ नमो नीलकंठाय" मंत्र के द्वारा करने से ग्रह के सभी दोष दूर हो जाते हैं. माना जाता है कि सावन मास में गन्ने के रस से शिवलिंग का अभिषेक करने से सारा दोष समाप्त हो जाता है. कहा जाता है कि भगवान शिव के गले से ही नीलकंठ पक्षी का जन्म हुआ था. इस लिए सावन मास में इस पक्षी के दर्शन मात्र से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.