पौष मास के रविवार के दिन इस तरह करें सूर्यदेव का पूजन

पौष के महीने में सूर्यदेव के भग स्वरूप की पूजा करने का विधान है. इसे साक्षात परब्रह्म का ही रूप माना गया है. अगर आप पूरे माह पूजन के लिए ज्यादा समय नहीं निकाल सकते तो रविवार के दिन सूर्यदेव की आराधना करें. रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित माना गया है.

Update: 2021-12-26 03:34 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इन दिनों पौष का महीना चल रहा है और 17 जनवरी तक रहेगा. हिंदू पंचांग के हिसाब से साल का दसवां महीना माना जाता है. पौष के महीने में किसी भी तरह के मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है क्योंकि इस माह में सूर्यदेव धनु राशि में रहते हैं और उनका प्रभाव धरती पर काफी कम हो जाता है. लेकिन दान पुण्य और पूजा पाठ के लिहाज से ये महीना काफी अच्छा माना जाता है. पौष के महीने में सूर्यदेव की आराधना की जाती है, साथ ही भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है.

हिंदू ग्रंथों में सूर्य के 12 रूप बताए गए हैं. हर स्वरूप की पूजा का अलग-अलग फल मिलता है. पौष के महीने में सूर्यदेव के भग स्वरूप की पूजा करने का विधान है. ऐश्वर्य, धर्म, यश, श्री, ज्ञान और वैराग्य से परिपूर्ण सूर्यदेव का भग स्वरूप साक्षात परब्रह्म का ही रूप माना गया है. मान्यता है कि पौष माह में सूर्यदेव की आराधना करने से व्यक्ति तेजवान, साहसी और निरोगी बनता है. साथ ही उसके जीवन में धन धान्य आदि किसी चीज की कमी नहीं होती. अगर आप नियमित रूप से बहुत समय नहीं निकाल सकते तो कम से कम इस माह के रविवार के दिन कुछ काम जरूर करें. रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित माना जाता है.
रविवार के दिन इस तरह करें सूर्यदेव का पूजन
1. सूर्यदेव को अर्घ्य देने का बड़ा महत्व है. इसके लिए तांबे के बर्तन में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल रंग के फूल डालकर नियमित रूप से सूर्यदेव को जल अर्पित करें. लेकिन अर्घ्य सुबह के समय जितना जल्दी दिया जाए, उतना प्रभावी होता है. इसलिए सुबह 9 बजे तक हर हाल में अर्घ्य दे दें.
2. कुछ देर गायत्री मंत्र का जाप करें. कहा जाता है कि गायत्री माता के जाप से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है. इसके अलावा आप सूर्य गायत्री मंत्र 'ॐ भास्कराय पुत्रं देहि महातेजसे धीमहि तन्नः सूर्य प्रचोदयात्' का भी जाप कर सकते हैं.
3. अगर संभव हो तो रविवार के दिन व्रत रखें. पौष माह के रविवार का विशेष महत्व होता है. इस दिन दिनभर व्रत रखना चाहिए और खाने में नमक का उपयोग नहीं करना चाहिए. संभव हो तो सिर्फ फलाहार ही करें और अगले दिन सुबह स्नान के बाद व्रत का पारण करें. व्रत के दौरान सूर्य को तिल-चावल की खिचड़ी का भोग लगाएं.
4. इस दिन स्नान के दौरान जल में थोड़ा गंगाजल मिक्स कर लें फिर श्री नारायण का नाम लेते हुए स्नान करें. इसके अलावा गुड़, लाल मसूर, तांबा, तिल आदि का दान करें. जरूरतमंदों को लाल रंग के कपड़े दान करें.


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