ऐसे करें पंचदेव की पूजा सब परेशानी होगी दूर
सूर्य देव का पूजन करने के लिए उन्हें जल से अर्घ्य दिया जाता है
किसी भी शुभ काम को करने से पहले भगवान श्री गणेश का ध्यान किया जाता है। लेकिन ऐसा माना जाता है कि अगर पंचदेव की पूजा की जाए तो इससे जीवन की कठिनाइयां आसानी से दूर होती है। इतना ही नहीं, अगर व्यक्ति किसी तरह की कठिनाई से घिर भी जाता है तो इससे वह बेहद आसानी से बाहर निकल जाता है। श्रीगणेश, ब्रह्मा, विष्णु, शिव और सूर्य को पंचदेव माना जाता है। हालांकि, कुछ जगहों पर लोग पंचदेव के रूप में ब्रह्मा के स्थान पर मां दुर्गा का पूजन करते हैं। हालांकि, पूजन का प्रारंभ श्री गणेश से किया जाता है। इसके बाद अन्य सभी देवों का पूजन किया जाता है। किसी भी शुभ अवसर या पूजन के दौरान सबसे पहले पंचदेव का पूजन करने से व्यक्ति के सभी काम सिद्ध हो जाते हैं-
श्रीगणेश के पूजन के लिए मंत्र
श्रीगणेश प्रथम पूज्य हैं। साथ ही साथ, वे जलतत्व के अधिपति भी माने गए हैं, इसलिए उनका पूजन सबसे पहले किया जाता है। श्रीगणेश का पूजन करने के लिए आप इस मंत्र का जाप करें-
प्रात: स्मरामि गणनाथमनाथबन्धुं सिन्दूरपूरपरिशोभितगण्डयुग्मम्।
उद्दण्डविघ्नपरिखण्डनचण्डदण्ड - माखण्डलादिसुरनायकवृन्दवन्द्यम्।।
सूर्य देव का ऐसे करें पूजन
सूर्य देव का पूजन करने के लिए उन्हें जल से अर्घ्य दिया जाता है। कोशिश करें कि आप उन्हें किसी तांबे के बर्तन से जल अर्पित करें। अर्घ्य कुछ इस तरह दें कि उसके जल से सूरज की किरणें छनकर आपके शरीर पर आएं। इसके अतिरिक्त सूर्य देव की पूजा करते हुए लाल रंग के फूल भी अर्पित किए जा सकते हैं। सूर्य देव का पूजन करते हुए आप इस मंत्र के साथ ध्यान करें।
प्रातः स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यं, रूपं हि मण्डलमृचोअथ तनुर्यन्जूषि।
सामानि यस्य किरणा: प्रभावादिहेतुं, ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यमचिन्त्यरूपम्।।
भगवान विष्णु की इस मंत्र से करें पूजा
भगवान विष्णु की साधना के लिए विशेष मंत्र का उच्चारण किया जाता है। यह माना जाता है कि अगर भगवान विष्णु जी की पूजा करते समय पीला चंदन और पीले रंग के फूल चढ़ाए जाते हैं तो यह बेहद ही शुभ होता है। भगवान विष्णु की पूजा करते समय आप इस मंत्र का उच्चारण करें।
प्रात: स्मरामि भवभीतिमहार्तिनाशं नारायणं गरुडवाहनमब्जनाभम्।
महाभिभृतवरवारणमुक्तिहेतुं चक्रायुधं तरुणवारिजपत्रनेत्रम्॥
भगवान शिव के पूजन के लिए इस मंत्र का करें जाप
भगवान शिव को पृथ्वी तत्व का स्वामी माना गया है। इसलिए, जब पंचदेव पूजन किया जाता है तो शिवलिंग की भी पूजा की जाती है। उनके पूजन के दौरान जलाभिषेक, दूधाभिषेक करने का प्रावधान है। इसके साथ-साथ उन्हें बेलपत्र व धतूरा आदि भी अर्पित किया जाता है। आप उनके पूजन के दौरान इस मंत्र का ध्यान करें।
प्रातः स्मरामि भवभीतिहरं सुरेशं गङ्गाधरं वृषभवाहनमम्बिकेशम् ।
खट्वाङ्गशूलवरदाभयहस्तमीशं संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम् ॥
मां दुर्गा का कुछ इस तरह करें पूजन
पंच देव के पूजन के दौरान मां दुर्गा का भी ध्यान किया जाता है। चूंकि वह अग्नि तत्त्व की स्वामिनी हैं, इसलिए उनके पूजन के लिए हवन आदि का सहारा लिया जाता है। हालांकि, घी का दीपक जलाकर भी उनकी पूजा की जा सकती है। उनका पूजन करते समय आप इस मंत्र का ध्यान करें।
प्रात: स्मरामि शरदिन्दुकरोज्ज्वलाभां सद्रत्नवन्मकरकुण्डलहारभूषाम् ।
दिव्यायुधोर्जितसुनीलसहस्त्रहस्तां रक्तोत्पलाभचरणां भवतीं परेशाम् ।।