मां चंद्रघंटा की पूजा इस तरह करे...जानिए पूजा विधि और आरती
आज नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा होती है. भक्त आज के दिन विधि- विधान से मां चंद्रघंटा की पूजा करते हैं.
आज नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा होती है. भक्त आज के दिन विधि- विधान से मां चंद्रघंटा की पूजा करते हैं. माता के माथे पर घंटे के रूप में अर्धचंद्र सुशोभित है जो उनके चेहरे के तेज को बढ़ता है. इसलिए इन्हें मां चंद्रघंटा कहा जाता है. चंद्रघंटा माता का वाहन सिंह है. उनकी दस भुजाएं हैं. मां के चारों हाथ में कमल का फूल, धनुष और जाप माल और तीर है. बाकि के हाथों में त्रिशूल, गदा, कमंडल और तलवारा है. माता का पांचवा हाथ अभय मुद्रा में रहता है.
आज चैत्र शुक्ल पक्ष तिथि को मां चंद्रघंटा की विधि- विधान से पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. पूजा का शुभ मुहूर्त 3 बजे से पहले तक है. इसके बाद चतुर्थी तिथि पड़ जाएगी. आइए जानते हैं मां चंद्रघंटा की पूजा कैसे करते हैं, मंत्रों और कथा के बारे में.
मां चंद्रघंटा की पूजा विधि
मां चंद्रघंटा की प्रतिमा और फोटो को एक चौकी पर रखें. इसके बाद विधि- विधान से पूजा अर्चना करें. माता को सिंदूर, अक्षत, धूप दीप, पूष्प और दूध से बनी हुई मिठाई का भोग लगाएं. इसके बाद मां चंद्रघंटा की अराधना के लिए ऊं देवी चंद्रघंटायै नम: का जाप करें. इसके अलावा आप चाहे तो दुर्गा चालीसा और दुर्गा आरती कर सकते हैं.
पूजा का महत्व
मां चंद्रघंटा की पूजा करने से घर में सुख- समृद्धि आती है. आपका वैवाहिक जीवन खुशहाल रहता है. इसके साथ वैवाहिक जीवन और विवाह जुड़ी परेशानीयों से भी राहत मिलती है.
मां चंद्रघंटा की आरती
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।
पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।
चंद्र समान तुम शीतल दाती।चंद्र तेज किरणों में समाती।
क्रोध को शांत करने वाली।
मीठे बोल सिखाने वाली।
मन की मालक मन भाती हो।
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।
सुंदर भाव को लाने वाली।
हर संकट मे बचाने वाली।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये।
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं।
सन्मुख घी की ज्योति जलाएं।
शीश झुका कहे मन की बाता।
पूर्ण आस करो जगदाता।
कांचीपुर स्थान तुम्हारा।
करनाटिका में मान तुम्हारा।
नाम तेरा रटूं महारानी।
भक्त की रक्षा करो भवानी।