आमलकी एकादशी के दिन करे भगवान विष्णु पूजा, जानें पूजन के शुभ मुहूर्त

आमलकी यानी आंवला। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को आमलकी एकादशी कहते हैं।

Update: 2021-03-23 16:04 GMT

आमलकी यानी आंवला। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को आमलकी एकादशी कहते हैं। इस वर्ष 24 मार्च 2021, बुधवार को आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi 2021) मनाई जा रही है। धर्मशास्त्रों के अनुसार विष्णु जी ने जब सृष्टि की रचना के लिए ब्रह्मा को जन्म दिया, उसी समय उन्होंने आंवले के वृक्ष को जन्म दिया। आंवले को भगवान विष्णु ने आदि वृक्ष के रूप में प्रतिष्ठित किया है। इसके हर अंग में ईश्वर का स्थान माना गया है।

आंवला को शास्त्रों में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है। भगवान विष्णु ने कहा है जो प्राणी स्वर्ग और मोक्ष प्राप्ति की कामना रखते हैं, उनके लिए फाल्गुन शुक्ल पक्ष में जो पुष्य नक्षत्र में एकादशी आती है उस एकादशी का व्रत अत्यंत श्रेष्ठ है।
आइए जानें कैसे करें आमलकी एकादशी के दिन पूजन-
* आमलकी एकादशी व्रत के पहले दिन व्रती को दशमी की रात्रि में एकादशी व्रत के साथ भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए सोना चाहिए तथा आमलकी एकादशी के दिन सुबह स्नान करके भगवान विष्णु की प्रतिमा के समक्ष हाथ में तिल, कुश, मुद्रा और जल लेकर संकल्प करें कि मैं भगवान विष्णु की प्रसन्नता एवं मोक्ष की कामना से आमलकी एकादशी का व्रत रखता हूं।

मेरा यह व्रत सफलतापूर्वक पूरा हो इसके लिए श्रीहरि मुझे अपनी शरण में रखें।
* तत्पश्चात निम्न मंत्र से संकल्प लेने के पश्चात षोड्षोपचार सहित भगवान की पूजा करें।
मंत्र-
'मम कायिकवाचिकमानसिक सांसर्गिकपातकोपपातकदुरित क्षयपूर्वक श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त फल प्राप्तयै श्री परमेश्वरप्रीति कामनायै आमलकी एकादशी व्रतमहं करिष्ये'
* भगवान की पूजा के पश्चात पूजन सामग्री लेकर आंवले के वृक्ष की पूजा करें। सबसे पहले वृक्ष के चारों की भूमि को साफ करें और उसे गाय के गोबर से पवित्र करें।

* पेड़ की जड़ में एक वेदी बनाकर उस पर कलश स्थापित करें। इस कलश में देवताओं, तीर्थों एवं सागर को आमंत्रित करें।
* कलश में सुगंधी और पंच रत्न रखें। इसके ऊपर पंच पल्लव रखें फिर दीप जलाकर रखें। कलश पर श्रीखंड चंदन का लेप करें और वस्त्र पहनाएं।
* अंत में कलश के ऊपर श्री विष्णु के छठे अवतार परशुराम की स्वर्ण मूर्ति स्थापित करें और विधिवत रूप से परशुराम जी की पूजा करें।
* रात्रि में भगवत कथा व भजन-कीर्तन करते हुए प्रभु का स्मरण करें।

* द्वादशी के दिन सुबह ब्राह्मण को भोजन करवा कर दक्षिणा दें।
* साथ ही परशुराम की मूर्तिसहित कलश ब्राह्मण को भेंट करें।
इन क्रियाओं के पश्चात परायण करके अन्न जल ग्रहण करें। इस तरह यह व्रत करने से जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है तथा मोक्ष प्राप्ति के मार्ग खुल‍ते हैं।
आमलकी एकादशी पूजन के शुभ मुहूर्त-
एकादशी का व्रत हमेशा उदया तिथि में रखा जाता है। अत: 24 मार्च को सुबह 10.23 मिनट तक दशमी रहेगी, उसके बाद एकादशी तिथि लगेगी, जो 25 मार्च को सुबह 09.47 मिनट तक रहेगी। इसके बाद द्वादशी तिथि लग जाएगी। अत: अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12.08 मिनट से दोपहर 12.56 मिनट तक। अमृत काल में पूजन का समय रात्रि 09.13 मिनट से रात्रि 10.48 मिनट तक का समय रहेगा। ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 04.53 मिनट से सुबह 05.41 मिनट तक रहेगा।
एकादशी पारण का समय- 26 मार्च को सुबह 06.18 बजे से 08.21 मिनट तक रहेगा।


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