शीतला सप्तमी पर इस तरह करे देवी शीतला की पूजा
सप्तमी या अष्टमी वह दिन है जब महिलाएं व्रत रखती हैं
चैत्र कृष्ण पक्ष की सप्तमी को शीतला सप्तमी के नाम से जाना जाता है. इस दिन मां शीतला की पूजा की जाती है. फिर अगले दिन शीतला अष्टमी यानी बसौड़ा पर्व मनाया जाता है. धार्मिक दृष्टि से इस दिन का विशेष महत्व माना जाता है. इस बार शीतला सप्तमी पर्व 14 मार्च को है और शीतला अष्टमी पर्व 15 मार्च को है. इस दिन शीतला मां (Sheetala Mata Puja 2023) को बासी भोजन का भोग लगाने की मान्यता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शीतला माता की पूजा से महामारियों से बचाती है. कहा जाता है कि जो व्यक्ति शीतला सप्तमी का व्रत करता है और शीतला माता की विधि-विधान से पूजा करता है, उसे चेचक, बुखार, फोड़े-फुंसियों और आंखों से संबंधित समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है.
देवी शीतला की पूजा विधि (Sheetala Puja Vidhi)
सप्तमी या अष्टमी वह दिन है जब महिलाएं व्रत रखती हैं, ब्रह्मचर्य का पालन करती हैं और पूजा में चढ़ाया जाने वाला सामान पहले दिन ही तैयार किया जाता है.
स्नान आदि के बाद संकल्प करें मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमन पूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धियेशीतला सप्तमी/अष्टमी व्रतं करिष्ये.
देवी शीतला के मंदिर में पूजा करें और भोग के रूप में (बासी) खाद्य पदार्थ, सूखे मेवे, मिठाई, पुआ, पूड़ी, दाल-चावल आदि चढ़ाकर परिक्रमा करें.
ध्यान रहे कि शीतला माता की पूजा में दीपक और अगरबत्ती नहीं जलाई जाती, इन्हें केवल सामने ही रखा जाता है. माता की पूजा में अग्नि का प्रयोग वर्जित है.
शीतला पूजा की कथा
एक गांव में एक महिला रहती थी. जो देवी शीतला की भक्त थी और प्रतिदिन उनकी पूजा किया करती थी. लेकिन उस गांव में किसी और ने देवी शीतला की पूजा नहीं की. एक दिन उस गांव में आग लग गई, जिसमें गांव की सारी झोपड़ियां जलकर राख हो गईं, लेकिन देवी शीतला देवी की पूजा करने वाली महिला की झोपड़ी सुरक्षित बच गई. लोगों ने इसका कारण पूछा तो महिला ने बताया कि मैं शीतला माता की पूजा करती हूं, इसलिए मेरा घर आग से सुरक्षित है. जिसके बाद महिला की बात सुनकर सभी शीतला माता की पूजा करने लगे.