महिलाएं नवरात्र में भूलकर भी न करें ये काम, वरना झेलनी पड़ेगी मां की नाराजगी
हिंदी पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्रि का पर्व आशिवन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदी पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्रि का पर्व आशिवन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है. साल 2021 का शारदीय नवरात्रि 7 अक्टूबर से प्रारंभ हो चुका है. शारदीय नवरात्रि पर्व का समापन नवमी तिथि अर्थात 14 अक्टूबर को होगा. अगले दिन विजय दशमी का त्योहार मनाया जाएगा. इस बार की नवरात्रि केवल 8 दिनों की है. क्योंकि पंचांग के अनुसार तृतीया तिथि और चतुर्थी तिथि एक ही दिन पड़ रही है.
शारदीय नवरात्रि व्रत में माता रानी की पूजा में विशेष सावधानियां रखनी पड़ती हैं, तथा विशिष्ट नियमों का पालन करना पड़ता है. जो लोग इन नियमों का पालन नहीं करते हैं, उन्हें उनके व्रत का पूरा-पूरा फल नहीं प्राप्त हो पता है. इसलिए पूजा के दौरान महिलाओं को भूलकर भी ये काम नहीं करने चाहिए-
महिलायें खुले बाल में माता रानी की पूजा न करें
महिलाओं को नवरात्रि व्रत में मां दुर्गा की पूजा खुले बाल रखकर नहीं करनी चाहिए. क्योंकि ऐसा करना अशुभ माना गया है. मान्यताओं के अनुसार खुले बाल अमंगल का प्रतीक होता है. इसलिए महिलाओं को पूजा हमेशा बाल को बांधकर ही करना चाहिए.
मां पर भूलकर भी न अर्पित करें ये पुष्प: मां दुर्गा की पूजा में भक्तों को दौरान दुर्वा, आक, मदार, तुलसी, आंवला के फूल नहीं चढ़ाए जाते हैं. चूंकि नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है. इस लिए महिलाओं को चाहिए कि वे मां को ये फूल न अर्पित करें. माता रानी को लाल फूल बेहद प्रिय है इस लिए उन्हें लाल फूल चढ़ाने से मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
गीले वस्त्र पहनकर न करें पूजा: नवरात्रि में गीले वस्त्र पहन कर मां दुर्गा की पूजा करना अशुभ माना गया है. क्योंकि अमंगल में गीले कपड़े पहनकर पूजा आदि करने की मान्यता है. कभी –कभी कुछ महिलायें कम सूखे कपड़े पहन कर पूजा करने चली जाती है. इससे मां नाराज हो सकती है.
इस दिशा में मुख करके करें पूजा
नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके ही करें. पूजा कुश के आसन पर बैठकर करना उत्तम माना जाता है.