Mauni Amavasya ज्योतिष न्यूज़ : माघ महीने की अमावस्या को मौनी अमावस्या के रूप में मनाया जाता है, जो धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह दिन भगवान विष्णु, शिव, सूर्य देव और पितरों की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस पवित्र दिन पर प्रयागराज के संगम स्थल में देवताओं का निवास माना जाता है, और वहां स्नान करने से व्यक्ति को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
मौनी अमावस्या का महत्व सिर्फ स्नान तक सीमित नहीं है; यह दिन मौन रहकर आत्मचिंतन और मन की शुद्धि के लिए भी जाना जाता है। "मौनी" शब्द का अर्थ मौन है, और इस दिन मौन व्रत धारण करने की परंपरा है। यह न केवल मानसिक शांति प्रदान करता है, बल्कि आत्मा को भी शुद्ध करता है।
प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेले में इस दिन का विशेष महत्व है। मौनी अमावस्या के अवसर पर कुंभ में तीसरा शाही स्नान आयोजित होता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु और साधु-संत पवित्र संगम में स्नान कर धर्म लाभ अर्जित करते हैं। माना जाता है कि इस दिन गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में डुबकी लगाने से व्यक्ति अपने पापों से मुक्त हो जाता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग मिलता है।
पितरों की तृप्ति के लिए भी यह दिन विशेष माना गया है। इस दिन तर्पण, पिंडदान और दान का बहुत महत्व है। जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, तिल और घी का दान करना शुभ फलदायी होता है। मौनी अमावस्या का यह पर्व श्रद्धा, भक्ति और सेवा का संदेश देता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, जब सागर मंथन से भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए, उस समय देवताओं और असुरों में अमृत कलश के लिए खींचतान शुरू हो गई। इस बीच अमृत की कुछ बूंदें छलक कर प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में जा गिरीं। यही कारण है कि यहां की नदियों में स्नान करने से अमृत स्नान का पुण्य मिलता है। इस दिन भक्त मौन व्रत रखते हैं और पूजा-पाठ करते हैं। जरूरतमंदों को दान करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है। आप तिल, अन्न, गुड़, घी, गरम कपड़े और धन का दान कर सकते हैं। इस दिन सुबह जल्दी उठकर गंगा स्नान करें, जो गंगा स्नान के लिए नहीं जा सकते, वे जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद हाथ जोड़कर ‘ॐ पितृ देवतायै नमः’ मंत्र का जप करते हुए पितरों के मोक्ष के लिए प्रार्थना करें। इससे पितृ प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। इस दिन पूजा-अर्चना के बाद जरूरतमंदों को दान करना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध और दान करने से पितरों को मोक्ष मिलता है।