क्यों माना जाता है होलाष्टक को अशुभ, जानिए इसकी पौराणिक कथा

फाल्गुन मास की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तिथि तक को होलाष्टक माना जाता है।

Update: 2021-02-27 05:51 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेसक | फाल्गुन मास की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तिथि तक को होलाष्टक माना जाता है। होलाष्टक होलिका दहन से पहले के 8 दिनों को कहा जाता है। इस साल होलाष्टक 22 मार्च से प्रारंभ होंगे जो कि 28 मार्च तक यानी होलिका दहन तक रहेंगे। 28 मार्च को होलिका दहन के बाद अगले दिन 29 मार्च को रंग पंचमी मनाई जाएगी। जिसे धुलेंडी के नाम से भी जानते हैं।

होलाष्टक के दौरान 8 दिनों तक कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। इस दौरान मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। होलाष्टक के अशुभ होने को लेकर दो पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। पहली कथा भक्त प्रहलाद और दूसरी कथा कामदेव से जुड़ी है।
1. भक्त प्रहलाद- पौराणिक कथा के अनुसार, राजा हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे प्रहलाद को भगवान श्रीहरि की भक्ति से दूर करने के लिए आठ दिनों तक कठिन यातनाएं दी थीं। आठवें दिन हिरण्यकश्यप की बहन होलिका जिसे वरदान प्राप्त था, वो भक्त प्रहलाद को गोद में लेकर बैठी और जल गई थी लेकिन भक्त प्रहलाद बच गए थे।
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2. रति पति कामदेव- कहते हैं कि देवताओं के कहने पर कामदेव ने शिव की तपस्या भंग करने के लिए कई दिनों में कई तरह के प्रयास किए थे। तब भगवान शिव ने फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि को कामदेव को भस्म कर दिया था। कामदेव की पत्नी रति ने उनके अपराध के लिए शिवजी से क्षमा मांगी, तब भगवान शिव ने कामदेव को पुनर्जीवन देने का आश्वासन दिया।
होली 2021 की तारीख और शुभ मुहूर्त-
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – मार्च 28, 2021 को 03:27 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – मार्च 29, 2021 को 00:17 बजे
होलिका दहन रविवार, मार्च 28, 2021 को
होलिका दहन मुहूर्त – 18:37 से 20:56
अवधि – 02 घंटे 20 मिनट


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