विवाह के दौरान क्यों जरूरी माना जाता है सिंदूर दान, जानें महत्त्व

Update: 2024-04-18 09:06 GMT
नई दिल्ली : हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं द्वारा 16 शृंगार किया जाता है, जिन्हें सुहाग की निशानी के तौर पर देखा जाता है। सिंदूर भी इन्हीं में से एक है, इसे किसी भी सुहागिन महिला का सबसे जरूरी शृंगार समझा जाता है। विवाह के दौरान भी कन्यादान की तरह ही सिंदूर दान (Importance of Sindoor) का विशेष महत्व समझा गया है। चलिए जानते हैं इसके पीछे का धार्मिक कारण।
सिंदूर का महत्व
सनातन परम्पराओं के अनुसार, सिंदूर को अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। साथ ही यह भी माना जाता है कि विवाहिता द्वारा रोजाना मांग में सिंदूर लगाने से वैवाहिक जीवन खुशहाल बना रहता है। इसलिए भारतीय संस्कृति में विवाहित महिलाओं द्वारा सिंदूर लगाने की परम्परा सदियों से चली आ रही है। यह भी माना गया है कि मांग में जितना लंबा सिंदूर होगा, जीवनसाथी की उम्र भी उतनी ही लंबी होगी। सिंदूर का रंग लाल होता है, जिसे हिंदू धर्म में प्रेम और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों में माना गया है कि सिंदूर आपके वैवाहिक रिश्ते में मजबूती ला सकता है।
इसलिए जरूरी है सिंदूर दान
विवाह के दौरान जब वर, वधू की मांग में सिंदूर भरता है, तो इसे सिंदूर दान कहा जाता है। हिंदू शास्त्रों के मुताबिक सिंदूर दान की रस्म करने के बाद ही विवाह संपन्न माना जाता है। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्व रखता है, बल्कि इसका ज्योतिष रूप से भी विशेष महत्व माना गया है। हमारे शरीर में 7 चक्र होते हैं, जिनका नियंत्रण सिर के उस हिस्से में होता है, जहां सिंदूर भरा जाता है।
ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, मांग के पीछले हिस्से में सूर्य विराजमान होते हैं। ऐसे में यदि मांग में सिंदूर भर जाए, तो इससे सूर्य की स्थिति मजबूत होती है। इसके साथ ही मेष राशि का स्थान भी माथे पर ही माना गया है, जिसके स्वामी मंगल ग्रह हैं। मंगल ग्रह के लिए भी लाल यानी सिंदूरी रंग ही शुभ माना गया है। इसलिए मांग में सिंदूर भरने से जीवन में सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस दृष्टि से भी सिंदूर दान को महत्वपूर्ण माना गया है।
बोला जाता है ये मंत्र (Sindoor Daan Mantra)
विवाह के दौरान जब सिंदूर दान किया जाता है, तो इस दौरान एक मंत्र पढ़ा जाता है, जो इस प्रकार है -
'ॐ सुमंगलीरियं वधूरिमां समेत पश्यत। सौभाग्यमस्यै दत्त्वा याथास्तं विपरेतन।। '
अर्थ - इस मंत्र में वर कहता है कि विवाह मंडप में उपस्थित सभी महिलाओं और पुरुषों के समक्ष मैं कन्या की मांग में सिंदूर भर रहा हूं। आप वधू को सुमंगली यानी कल्याणकारी होते हुए देखें। साथ ही हमें सौभाग्य और समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करें। हे वधू, तुम्हारे सौभाग्य को बढ़ाने वाले इस सिंदूर को मैं तुम्हें दान देकर अपना कर्तव्य पूर्ण कर रहा हूं, यह तुम्हारी विपरित स्थितियों में भी रक्षा करेगा।
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