गुड फ्राइडे के दिन चर्च में क्यों नहीं बजाई जाती घंटी, जानें महत्त्व

Update: 2024-03-29 04:26 GMT
नई दिल्ली : भारत देश में हर त्यौहार मनाए जाते हैं। जिस तरह से हिंदू धर्म में तिथि और त्योहार का महत्व होता है उसी प्रकार ईसाई धर्म में गुड फ्राइडे को त्यौहार के रूप में मनाया जाता है और इसका विशेष महत्व भी होता है। ज्यादातर लोग इस दिन को गुड फ्राइडे के नाम से जानते हैं लेकिन इसके अलावा इस दिन को ब्लैक फ्राईडे, ग्रेट फ्राइडे या होली फ्राइडे के नाम से भी जाना जाता है। गुड फ्राइडे ईसाई धर्म का एक त्यौहार है लेकिन इस त्यौहार को धूमधाम से नहीं मनाया जाता है बल्कि इस दिन को शांति और शोक के रूप में मनाया जाता है।
धूमधाम से नहीं बल्कि शोक से क्यों मनाया जाता है गुड फ्राइडे
29 मार्च, 2024 यानी की आज गुड फ्राइडे है। यह दिन यीशु मसीह के बलिदान और मानवता के लिए किए गए उपकार का प्रतीक है। ईसाई धर्मगुरुओं के अनुसार, यीशु मसीह को इसी दिन रोमन शासकों द्वारा सूली पर चढ़ाया गया था। ईसा मसीह ने हंसते-हंसते मौत को गले लगाकर साहस का परिचय दिया था। इसके अलावा समस्त मानव जाति को यह संदेश भी पहुंचाया था कि समाज के कल्याण के लिए अगर अपना जीवन भी कुर्बान करना पड़े तो कर देना चाहिए। इसलिए गुड फ्राइडे को शोक का दिन माना जाता है। इस दिन ईसाई उपवास रखते हैं, शोक मनाते हैं और प्रार्थना करते हैं। चर्चों में विशेष प्रार्थना सभाएं आयोजित की जाती हैं, जिनमें यीशु मसीह के जीवन और उपदेशों पर विचार किया जाता है।
गुड फ्राइडे का महत्व
यह दिन यीशु मसीह के बलिदान का प्रतीक है। ईसाई मानते हैं कि यीशु मसीह ने मानवता के पापों के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। यीशु मसीह ने प्रेम और क्षमा का संदेश दिया। गुड फ्राइडे का दिन प्रेम और क्षमा के महत्व को याद करने का दिन है। ईसाई मानते हैं कि यीशु मसीह के बलिदान के बाद तीसरे दिन उनका पुनरुत्थान हुआ था। गुड फ्राइडे का दिन नए जीवन का प्रारंभ भी दर्शाता है। इसके अलावा, गुड फ्राइडे को शोक और पीड़ा का दिन भी माना जाता है। ईसाई यीशु मसीह द्वारा सहन किए गए दुखों और पीड़ाओं को याद करते हैं।
गुड फ्राइडे के दिन चर्च में क्यों नहीं बजाई जाती घंटी
इस दिन चर्चों में घंटी नहीं बजाई जाती है। घंटी को खुशी और उत्सव का प्रतीक माना जाता है। गुड फ्राइडे को शोक का दिन माना जाता है, इसलिए घंटी नहीं बजाई जाती है। गुड फ्राइडे को ईसाई धर्म के लोग इसे कुर्बानी दिवस के रूप में मनाते हैं। इस दिन चर्च में सिर्फ घंटियां ही नहीं बजाई जाती बल्कि मोमबत्ती भी नहीं जलाई जाती है। इतना ही नहीं गुड फ्राइडे के दिन ईसाई धर्म के लोग चर्च में काले कपड़े पहनकर आते हैं और शोक सभा आयोजित करते हैं, यही वजह है कि इस दिन को ब्लैक फ्राईडे के नाम से भी जाना जाता है।
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