कौन पहन सकता है नीलम और जानिए इसके लाभ
ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि हर रत्न का किसी न किसी ग्रह से संबंध होता है और हर ग्रह व्यक्ति की कुंडली में कुछ न कुछ प्रभाव डालते ही हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि हर रत्न का किसी न किसी ग्रह से संबंध होता है और हर ग्रह व्यक्ति की कुंडली में कुछ न कुछ प्रभाव डालते ही हैं. ये शुभ भी होते हैं और अशुभ भी. ग्रहों के अशुभ प्रभाव को रोकने या कम करने के लिए ज्योतिषी रत्नों को पहनने की सलाह देते हैं. लेकिन, रत्न धारण करने से पहले आवश्यक है कि किसी जानकार ज्योतिषी से सलाह ले ली जाए. रत्न शास्त्र में प्रमुख रूप से 9 रत्नों का उल्लेख मिलता है. जिन्हें नवरत्न कहा जाता है. आज हमे भोपाल के रहने वाले ज्योतिषी एवं पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा इन्हीं नवरत्नों में से एक नीलम के बारे में बताने जा रहे हैं.
कौन पहन सकता है नीलम?
ऐसे व्यक्ति जिनकी कुंडली में शनि ग्रह चौथे, पांचवे, दसवें या ग्यारवें भाव में हो तो नीलम धारण कर सकते हैं. नीलम का संबंध शनि ग्रह के साथ माना गया है. यदि कुंडली में शनि षष्ठेश या अष्टमेश में स्तिथ हो उनके लिए नीलम धारण करना शुभ होता है. वहीं वृषभ राशि, मिथुन राशि, कन्या राशि, तुला राशि, मकर राशि और कुंभ राशि के जातक नीलम धारण कर सकते हैं.
नीलम पहनने के लाभ
नीलम रत्न को शनि ग्रह का रत्न माना गया है और यदि कुंडली में शनि शुभता प्रदान करें तो व्यक्ति के आर्थिक संकट दूर होते हैं. नौकरी या व्यवसाय में तरक्की होती है. नीलम धारण करने वाले व्यक्ति पर जादू-टोना, तंत्र-मंत्र, भूत-प्रेत हावी नहीं हो पाते, नीलम पहनने से व्यक्ति काम के प्रति ईमानदार और मेहनती बनता है.
कैसे धारण करें नीलम
नीलम रत्न का सम्बन्ध शनि के साथ होने से नीलम धारण करने के लिए शनिवार का दिन सबसे उत्तम माना जाता है. नीलम रत्न को किसी जानकार ज्योतिषी की सलाह से ही धारण करना चाहिए. नीलम सदैव 5 से सवा 7 रत्ती का ही धारण करना चाहिए. नीलम को पंचधातु में पहनने की सलाह दी जाती है. धारण करने से पहले नीलम को दूध, गंगाजल और शहद में डालकर अच्छी तरह से धो लें. फिर शनि देव के बीज मन्त्र "ऊं शम शनिचराय नम:" का 108 बार जप करते हुए नीलम को दाएं हाथ के बीच की उंगली में धारण कर लें.