जीवनसाथी चुनते समय आचार्य ने इन 4 गुणों को परखने की बात कही, जानिए
आचार्य चाणक्य ने जीवनसाथी चुनने से पहले उसमें 4 गुणों को परखने की बात कही है, ताकि आप अपने लिए एक बेहतर जीवनसाथी ढूंढ सकें. श
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आचार्य चाणक्य ने जीवनसाथी चुनने से पहले उसमें 4 गुणों को परखने की बात कही है, ताकि आप अपने लिए एक बेहतर जीवनसाथी ढूंढ सकें. श्लोक है- वरयेत् कुलजां प्राज्ञो विरूपामपि कन्यकाम्, रूपशीलां न नीचस्य विवाह: सदृशे कुले. आइए आसान शब्दों में आपको बताते हैं कि आचार्य ने जीवनसाथी के किन गुणों की बात की है.
आंतरिक खूबसूरती : चाणक्य कहते हैं कि अगर आप अपने जीवन में बेहतर जीवनसाथी की कामना रखते हैं, तो उसकी शक्ल सूरत से कहीं ज्यादा उसकी आंतरिक खूबसूरती को तवज्जो दें. शारीरिक आर्कषण तो एक समय के बाद समाप्त हो जाता है, लेकिन आंतरिक खूबसूरती जीवनभर साथ रहती है. ऐसा जीवनसाथी आपके लिए तो अच्छा होता ही है, साथ ही आपके पूरे परिवार को भी एक सूत्र में बांधे रखने वाला होता है.
दबाव में न करें फैसला : आचार्य चाणक्य का मानना था कि परिवार की इच्छा की खातिर कभी कोई फैसला न करें. आपके लिए कौन सा जीवनसाथी बेहतर साबित हो सकता है, कौन विपत्ति में आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ देने वाला होगा, ये आप बेहतर तरह से समझ सकते हैं. इसलिए अच्छी तरह से सोच समझकर ये फैसला करें. किसी के दबाव में विवाह करने का फैसला अक्सर गलत साबित होता है. इससे पति और पत्नी दोनों का जीवन प्रभावित होता है.
धार्मिक प्रवृत्ति : आचार्य का कहना था कि धर्म-कर्म किसी भी व्यक्ति को एक सीमा में बांध कर रखते हैं. धार्मिक लोग कोई भी अनुचित कार्य करने से घबराते हैं. इसलिए अपने जीवनसाथी को चुनते समय ये जरूर देख लें कि वो धार्मिक है या नहीं. धार्मिक स्वभाव न सिर्फ उसे बेहतर जीवनसाथी साबित करेगा, बल्कि ऐसा शख्स पूरे कुल को संस्कारवान भी बनाएगा.
धैर्य का गुण जरूरी : जीवन कभी एक जैसा नहीं रहता. कई बार ऐसी परिस्थितियां आती हैं, जब आपको बहुत धैर्य के साथ सही समय आने का इंतजार करना होता है. इसलिए अपने जीवनसाथी में धैर्य का गुण जरूर परख लें. धैर्यवान व्यक्ति मुश्किल समय में भी आपको सही राह दिखाएगा. ऐसे में आप तमाम चुनौतियों को उसके सहयोग की बदौलत आसानी से हल करने में सक्षम रहेंगे.