शरद पूर्णिमा: सनातन धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथि को बेहद ही खास माना गया हैं जो कि हर माह में एक बार आती है लेकिन इन सभी पूर्णिमा तिथियों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण शरद पूर्णिमा है जो कि आश्विन मास की पूर्णिमा पर मनाई जाती है।
इस दिन चंद्रमा सबसे अधिक प्रकाशमान होता है शरद पूर्णिमा को कोजागिरी पूर्णिमा, रास पूर्णिमा और पूजन पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। सभी पूर्णिमाओं में इससे सबसे अधिक श्रेष्ठ माना गया है इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा आराधना का विधान होता है।
शास्त्र अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी धरती पर भ्रमण के लिए आती है और अपने भक्तों से प्रसन्न होकर उन्हें सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती है। इस दिन लक्ष्मी पूजन के बाद खीर का प्रसाद देवी मां को अर्पित कर रात्रि भर इसे चंद्रमा की रोशनी में रख दिया जाता है और सुबह प्रसाद के तौर पर ग्रहण करते हैं मान्यता है कि ऐसा करने से खीर अमृत समान होता है। ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा शरद पूर्णिमा की तिथि और मुहूर्त की जानकारी प्रदान कर रहे हैं।
शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त—
पंचांग के अनुसार इस साल शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर दिन शनिवार को पड़ रही है जो कि सुबह 4 बजकर 17 मिनट से शुरु होकर अगले दिन रविवार को 29 अक्टूबर की रात 1 बजकर 53 मिनट तक रहेगी। इस दिन चंद्रोदय शाम को 5 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। इस शुभ अवसर पर लोग व्रत आदि रखते हुए देवी मां की विधि विधान से पूजा करते हैं ऐसे में शरद पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त रात्रि 8 बजकर 52 मिनट से 10 बजकर 29 मिनट तक रहेगा।