Chanakya Niti में जाने दुश्मन से भी कहीं अधिक खतरनाक हैं ऐसे दोस्त

Update: 2025-02-05 08:58 GMT
Chanakya Niti ज्योतिष न्यूज़ : सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन महाशिवरात्रि को बहुत ही खास माना जाता है जो कि शिव को समर्पित दिन है इस दिन भक्त भगवान भोलेनाथ की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं।
 मान्यता है कि इस पावन दिन पर शिव साधना करने से प्रभु की असीम कृपा बरसती है और दुख परेशानियां दूर हो जाती है। इस साल महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी को मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि के पावन मौके पर हम आपको अपने इस लेख द्वारा एक दिलचस्प कथा बता रहे हैं जिससे महादेव के 3 अंक प्रिय होने का रहस्य खुल जाएगा, तो आइए जानते हैं इस कथा के बारे में।
 तीन अंक का रहस्य—
शिव पुराण की त्रिपुर दाह की कथा में शिव के जुड़े तीन अंक का रहस्य उजागर होता है। इस कथा के अनुसार, तीन असुरों ने तीन उड़ने वाले नगर बनाए और इन नगरों का नाम त्रिपुर रखा। ये तीनों नगर अलग-अलग दिशा में उड़ते रहते थे। असुर आतंक मचा कर नगरों में चले जाते थे, जिस कारण इनका कोई अनिष्ट नहीं कर पाता था। इन तीनों नगरों को नष्ट किये बिना इन तीनों असुरों को समाप्त नहीं किया जा सकता था लेकिन इन नगरों को नष्ट करने में एक परेशानी थी। इन तीनों को एक ही बाण से भेदा जा सकता था लेकिन तीनों अलग-अलग दिशा में उड़ाते रहते थे, इसलिए इन्हें एक ही लाइन में असंभव था। असुरों के आतंक से देवता भी काफी परेशान हो चुके थे। इसलिए, उन्होंने भगवान शिव की शरण ली।
 तब शिवजी ने उनकी विनती सुनकर धरती को रथ बनाया और सूर्य-चंद्रमा को उस रथ का पहिया बना लिया। मदार पर्वत को धनुष बनाया और उस पर कालसर्प आदिशेष की प्रत्यंचा चढ़ाई। धनुष के बाण बने विष्णु जी। वे लम्बे समय तक इन नगरों का पीछा करते रहे, ताकि उन्हें एक सीध में देखकर नष्ट कर सकें। फिर एक दिन वो पल आ गया, जब तीनों नगर एक सीध में आ गए और शिव जी ने पलक झपकते ही बाण चला दिया। शिव जी के बाण से तीनों नगर जलकर राख हो गए। इन तीनों नगरों की भस्म भगवान शिव ने अपनी शरीर पर लगा ली। इसलिए शिव जी की त्रिपुरारी भी कहा गया और मान्यता है कि तब से ही भगवान शिव की पूजा में तीन का विशेष महत्व होने लगा।
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