जब एक युवक को संत कबीरदास ने समझाया था सत्संग का महत्व, जानें ये रोचक किस्सा
ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को संत कबीर दास का जन्म हुआ था.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को संत कबीर दास का जन्म हुआ था. इस दिन को कबीर जयंती (Kabir Jayanti) के रूप में मनाया जाता है. आज कबीर जयंती है. कबीरदास भक्तिकाल के प्रमुख कवि थे इसलिए उनकी जयंती के दिन संत कबीर की याद में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. उनकी लिखी रचनाओं को पढ़ा जाता है. कहा जाता है कि कबीर दास के समय पर अंधविश्वास और कुरीतियां अपने चरम पर थीं, इसलिए कबीर ने अंधविश्वास और कुरीतियों के विरुद्ध समाज सुधार पर बहुत जोर दिया. कबीर दास को समाज सुधारक के रूप में भी जाना जाता है. उनके लिखे दोहों को मंदिरों और मठों पर गाया जाता है. आज संत कबीर दास जयंती के मौके पर हम आपको बताएंगे उनके जीवन का वो रोचक किस्सा, जिसमें उन्होंने बड़े ही साधारण तरीके से एक युवक को सत्संग का महत्व समझाया था.