धूमावती जयंती कब, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Update: 2024-05-26 08:51 GMT
नई दिल्ली : हर साल धूमावती जयंती का पर्व बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस पर्व को धूमावती महाविद्या जयंती के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन देवी धूमावती पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। यह पर्व ज्येष्ठ महीने में शुक्ल पक्ष के आठवें दिन मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 14 जून, 2024 दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन लोग देवी धूमावती की पूजा करते हैं और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं।
यह तिथि सनातन धर्म के लोगों के लिए बहुत महत्व रखती है, क्योंकि कहा जाता है कि माता धूमावती की प्रार्थना करने से उनके जीवन की सभी समस्याओं का अंत हो जाता है। हिंदू पवित्र ग्रंथों के अनुसार, देवी धूमावती को 10 महाविद्याओं में से 7वीं और देवी दुर्गा का सबसे उग्र रूप माना जाता है, लेकिन मां का स्वरूप जितना उग्र है उनका हृदय उतना ही निर्मल है।
धूमावती जयंती 2024 पूजा विधि
ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवी धूमावती की पूजा करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। ऐसे में इस दिन भक्त सूर्योदय से पहले उठें। जिन लोगों को व्रत करना है, वे मां के समक्ष व्रत का संकल्प लें। एक वेदी पर देवी की प्रतिमा स्थापित करें। देवी का पंचामृत, गंगाजल व शुद्ध जल से अभिषेक करें। मां को कुमकुम का तिलक लगाएं। उन्हें शृंगार और वस्त्र अर्पित करें। धूपबत्ती, फूल और अन्य चीजें मां को समर्पित करें। मां के समक्ष घी का दीपक जलाएं। उन्हें फल, मिठाई आदि चीजों का भोग लगाएं। मां के वैदिक मंत्रों का जाप करें। पूजा का समापन आरती से करें।
तामसिक चीजों का प्रयोग पूजा के दौरान न करें। हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार, इस दिन काले कपड़े में काले तिल लपेटकर चढ़ाने से मनचाही इच्छाएं पूर्ण होती हैं। पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा प्रार्थना करें।
धूमावती पूजा मंत्र
ॐ धूं धूं धूमावत्यै फट्॥
धूं धूं धूमावती ठः ठः ॥
धूमावती स्तुति
विवर्णा चंचला कृष्णा दीर्घा च मलिनाम्बरा,
विमुक्त कुंतला रूक्षा विधवा विरलद्विजा,
काकध्वजरथारूढा विलम्बित पयोधरा,
सूर्पहस्तातिरुक्षाक्षी धृतहस्ता वरान्विता,
प्रवृद्वघोणा तु भृशं कुटिला कुटिलेक्षणा,
क्षुत्पिपासार्दिता नित्यं भयदा काल्हास्पदा।
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