कब से शुरू हो रहा है चतुर्मास, जानें इसका महत्व और नियम

आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी से लेकर कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी तक के समय को चतुर्मास कहा जाता है

Update: 2021-06-26 06:57 GMT

आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी से लेकर कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी तक के समय को चतुर्मास कहा जाता है. शास्त्रों में चतुर्मास का विशेष महत्व माना गया है. मान्यता है कि इस दौरान जगत के पालनहार भगवान विष्णु चार माह के लिए विश्राम के लिए क्षीर सागर में चले जाते हैं. इसी के साथ सभी मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है. चतुर्मास के दौरान सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं. इस बार देवशयनी एकादशी 20 जुलाई 2021 को है और देवउठनी एकादशी 14 नवंबर 2021 को है. इसलिए 20 जुलाई से लेकर 14 नवंबर तक के समय को चतुर्मास माना जाएगा. जानिए चतुर्मास से जुड़ी खास बातें.

1. चुतर्मास को धार्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. इस समय को पूजा पाठ और पुण्य कार्यों के लिए सर्वोत्तम माना जाता है.मान्यता है कि चतर्मास के दौरान महादेव, माता पार्वती को साथ लेकर पृथ्वी के भ्रमण के लिए निकलते हैं. महादेव को भोलेनाथ भी कहा जाता है क्योंकि उनका हृदय बहुत कोमल है, इसलिए वे जल्दी प्रसन्न भी होते हैं और जल्द ही नाराज भी होते हैं. ऐसे में चतुर्मास के दौरान अच्छे कार्यों का फल भी जल्द प्राप्त होता है और बुरे कार्यों की सजा भी मिलती है. इसलिए चतुर्मास के दौरान आध्यात्मिक कार्य करने के लिए प्रेरित किया जाता है.

2. चतुर्मास में तमाम व्रत भी होते हैं, इसी के साथ पूजन का सिलसिला शुरू हो जाता है. देव पूजन, रामायण पाठ, भागवत कथा पाठ आदि के लिए चतुर्मास के दिन विशेष माने जाते हैं. इस दौरान इन कार्यों को करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है. इसके अलावा धर्म-कर्म, दान आदि करने के लिए भी ये समयय सर्वोत्तम माना गया है.
3. विवाह, मुंडन, सगाई, गृहप्रवेश आदि का आयोजन चतुर्मास के दौरान नहीं किया जाता है. मान्यता है कि इस दौरान जगत के पालनहार भगवान विष्णु योग निद्रा में होते हैं, इस वजह से उनका आशाीर्वाद नहीं मिल पाता. देवउठनी एकादशी पर भगवान के जागने के बाद इन शुभ कार्यों की शुरुआत फिर से हो जाती है.
4. चतुर्मास के दौरान वर्षाकाल रहता है. ऐसे में कई तरह के कीड़े मकोड़े पनपते हैं, ऐसे में जल संबंधित बीमारियों के बढ़ने की आशंका बढ़ जाती है. हरी पत्तेदार सब्जियां बैक्टीरिया के संक्रमण से ग्रसित हो जाती हैं. इसलिए सब्जियों को अच्छी तरह से धोकर ही खाना चाहिए.
5. वर्षाकाल में पाचन शक्ति काफी कमजोर हो जाती है. ऐसे में खानपान को लेकर भी खास नियम बनाए गए हैं. इस पीरियड में हल्का आहार ही खाने की सलाह दी जाती है. साथ ही हरी पत्तेदार सब्जियां अधिक से अधिक खाना चाहिए. पानी भरपूर मात्रा में पिएं और दूध व दही के सेवन से पर​हेज करें.
6. चतुर्मास के दौरान शरीर की अच्छी सेहत को बनाए रखने के लिए योग करने की बात भी कही गई है. महर्षि पतंजलि द्वारा बताए गए अष्टांग योग यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि हैं. गृहस्थ लोगों को इनमें समाधि को छोड़कर बाकी सात का अभ्यास जरूर करना चाहिए.


Tags:    

Similar News

-->