जानिए क्या होता है उत्तरायण
सूर्य की दो स्थितियां होती हैं उत्तरायण और दक्षिणायण. जब सूर्य उत्तर दिशा की ओर मकर राशि से मिथुन राशि तक भ्रमण करता है, तो इसे उत्तरायण कहते हैं. उत्तरायण के दौरान दिन बड़ा हो जाता है और रात छोटी हो जाती है. इसके अलावा जब सूर्य दक्षिण दिशा की ओर कर्क राशि से धनु राशि तक का भ्रमण करता है, तो इसे दक्षिणायन कहा जाता है. दक्षिणायन के दौरान रात बड़ी होती है और दिन छोटा. उत्तरायण और दक्षिणायन, दोनों की अवधि छह-छह माह की होती है.
उत्तरायण का महत्व
शास्त्रों में उत्तरायण को प्रकाश का समय माना गया है और इसे देवताओं का समय कहा जाता है. इस समय देवताओं की शक्तियां काफी बढ़ जाती हैं. गीता में श्रीकृष्ण भगवान ने उत्तरायण का महत्व बताते हुए कहा है कि जो व्यक्ति उत्तरायण के दौरान दिन के उजाले में और शुक्ल पक्ष में अपने प्राण त्यागता है, उसे बार-बार जन्म-मरण के चक्कर से मुक्ति मिल जाती है और वो मोक्ष प्राप्त करता है.
भीष्म पितामह ने उत्तरायण में त्यागे थे प्राण
कहा जाता है कि महाभारत काल के भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान था. जब उन्हें अर्जुन ने बाणों से छलनी कर दिया था, तब सूर्य दक्षिणायन था. तब पितामह ने बाणों की शैय्या पर लेटे रहकर उत्तरायण का इंतजार किया था और मकर संक्रान्ति के दिन जब सूर्य राशि परिवर्तन करके उत्तरायण हुए, तब उन्होंने अपने प्राण त्यागे थे.
मकर संक्रान्ति पर उत्तरायण अब नहीं होता
आज भी ये मान्यता है कि मकर संक्रान्ति के दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाता है, लेकिन वास्तव में अब ऐसा नहीं होता. दरअसल हजारों वर्ष पहले की नाक्षात्रिक गणना के हिसाब से मकर संक्रान्ति के दिन सूर्य उत्तरायण हुआ करता था, इसलिए ये बात प्रचलित हो गई. वैज्ञानिक रूप से उत्तरायण का प्रारंभ 22 दिसंबर के बाद होता है. 22 दिसंबर की दोपहर को सूर्यदेव मकर रेखा के बिल्कुल ऊपर होते हैं. मकर रेखा सूर्यदेव की दक्षिण की लक्ष्मण रेखा है. इसी दिन उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे लंबी रात होती है. इसके अगले दिन यानी 23 दिसंबर से दिन धीरे धीरे बड़ा होने लगता है और उत्तरायण की शुरुआत हो जाती है. ये क्रम 21 जून को समाप्त होता है. 21 जून को सबसे बड़ा दिन होता है और ये उत्तरायण का आखिरी दिन होता है. इसके बाद दक्षिणायन की शुरुआत हो जाती है. इस तरह देखा जाए तो अब सूर्य उत्तरायण मकर संक्रान्ति से नहीं 22 दिसंबर के बाद ही हो जाता है और मकर संक्रान्ति का त्योहार सूर्य उत्तरायण होने के बाद आता है.