क्या है सोम प्रदोष व्रत की कथा

Update: 2023-04-02 13:42 GMT
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा करने से विशेष फल मिलता है. अगर भगवान शंकर की पूजा सोमवार के दिन करें तो ये शुभ माना जाता है क्योंकि सोमवार का दिन भगवान शंकर के लिए बहुत खास माना जाता है. इस बार की प्रदोष सोमवार के दिन यानी 3 अप्रैल को पड़ रही है. इस दिन विधिवत पूजा-पाठ करने से आपको शंकर भगवान का आशीर्वाद मिलेगा. इसके साथ सोम प्रदोष व्रत की कथा का पाठ भी इस दिन जरूर करना चाहिए. चलिए आपको सोम प्रदोष व्रत कथा बताते हैं.
सोम प्रदोष व्रत की कथा क्या है? (Som Pradosh Vrat Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगर में ब्राह्मणी रहा करती थी. उसके पति का निधन हो गया था और उसका एक पुत्र था लेकिन आमदनी के लिए कोई सहारा नहीं था. रोज सुबह वह अपने बेटे के साथ भीख मांगने निकलती थी तभी वो अपना और बेटे का पेट भर पाती थी. एक दिन ब्राह्मणी लौट रही थी कि रास्ते में एक लड़का घायल अवस्था में उसे दिखा. उसकी दशा बहुत खराब थी इस वजह से ब्राह्मणी उसे अपने घर ले गई. वह लड़का विदर्भ का राजकुमार था. शत्रुओं ने उसके राज्य पर आक्रमण किया और उसके पिता को बंदी बना लिया. राज्य पर नियंत्रण करने के कारण राजकुमार मारा-मारा फिर रहा थआ राजकुमार ब्राह्मण महिला और उसके पुत्र के घर में रहने लगा. एक दिन अंशुमति नाम की एक गंधर्व कन्या ने उस राजकुमार को देखा और मोहित हो गई.
अगले दिन अंशुमति अपने माता-पिता के साथ राजकुमार से मिलने आई. उन्हें राजकुमार पसंद आया और कुछ महीने के बाद अंशुमति के माता-पिता को शंकर भगवान का सपना आया जिसमें उन्हें आदेश मिला कि राजकुमार और अंशुमति का विवाह करा दो और उन्होंने वैसा ही किया. ब्राह्मणी प्रदोष का व्रत करती थी और भगवान शंकर की भक्त थी. प्रदोष के प्रभाव से राजकुमार ने अपना राज्य शत्रुओं से वापस ले लिया. इसके बाद राजकुमार ने ब्राह्मण पुत्र को प्रधानमंत्री बना दिया. ऐसी मान्यता है कि जैसे ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत के प्रभाव से उसके दिन बदले वैसे ही भगवान शंकर के भक्तों के दिन प्रदोष का व्रत करने से बदलते हैं.
सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि (Som Pradosh Vrat Puja Vidhi)
3 अप्रैल की सुबह स्नान करने के बाद भगवान शंकर की प्रतिमा के सामने अपने व्रत का संकल्प लें. इसके बाद दिनभर व्रत रखें और शाम को भगवान शंकर की प्रतिम के सामने धूप-दीप जलाएं. शिवलिंग का अभिषेक करें, चंदन लगाएं, बेलपत्र और फूल चढ़ाएं. इसके बाद भगवान शंकर को भोल लगाएं जो भी आपके सामर्थ्य में हो. इसके बाद सोम प्रदोष व्रत कथा पढ़ें, शिव चालिसा करें और अंत में शिव आरती गाएं. धार्मिक मान्यता है कि अगर आपकी कोई इच्छा है तो प्रदोष के दिन भगवान शंकर की सच्चे मन से पूजा करने से वो सभी पूरी हो जाती हैं.
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