सप्तपदी मंत्र क्या है जिसे मौनी रॉय ने अपनी शादी की तस्वीरों के साथ किया शेयर, हर पति-पत्नी को जानना चाहिए

टीवी एक्ट्रेस मौनी रॉय की शादी को लेकर अभी खूब चर्चा हो रही है. उनके फैंस शादी के पल पल के अपडेट्स जानने के लिए उत्साहित रहे तो वहीं मौनी रॉय ने भी उन्हें अपने जीवन की इस नई शुरुआत के एक भी मौके को मिस होने का चांस नहीं दिया

Update: 2022-01-28 18:47 GMT

Mouni Roy Wedding: टीवी एक्ट्रेस मौनी रॉय की शादी को लेकर अभी खूब चर्चा हो रही है. उनके फैंस शादी के पल पल के अपडेट्स जानने के लिए उत्साहित रहे तो वहीं मौनी रॉय ने भी उन्हें अपने जीवन की इस नई शुरुआत के एक भी मौके को मिस होने का चांस नहीं दिया. मौनी रॉय ने इंस्टाग्राम पर सूरज नांबियार संग शादी के कई वीडियो और फोटो शेयर किए हैं. इस बीच उन्होंने सप्तपदी मंत्र के साथ अपनी शादी की एक फोटो शेयर की है.

Mouni Roy Wedding:
टीवी एक्ट्रेस मौनी रॉय 27 जनवरी 2022 को अपने लॉन्गटर्म बॉयफ्रेंड सूरज नांबियार संग शादी के बंध गईं. उनकी शादी दो अलग-अलग रीति-रिवाज से हुई. दोनों ने पहले मलयाली रीति-रिवाज से शादी की, उसके बाद बंगाली तरीके से शादी की सभी रस्मों को पूरा किया. इस दौरान मौनी रॉय ने इंस्टाग्राम पर सप्तपदी मंत्र के साथ अपनी शादी की एक फोटो शेयर की है. इस मंत्र का अर्थ पति-पत्नी के बीच घनिष्ठता को लेकर होता है. आइये बताते हैं टीवी एक्ट्रेस द्वारा शेयर किए गए मंत्र का क्या है अर्थ...

मौनी रॉय ने इंस्टाग्राम पर शेयर किया ये सप्तपदी मंत्र
सखायौ सप्तपदा बभूव ।
सख्यं ते गमेयम् ।
सख्यात् ते मायोषम् ।
सख्यान्मे मयोष्ठाः ।
ये है इस मंत्र का अर्थ
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र ने बताया कि इस मंत्र का अर्थ है "तुमने मेरे साथ मिलकर सात कदम चले हैं इसलिए मेरी मित्रता ग्रहण करो. हमने साथ-साथ सात कदम चले हैं, इसलिए मुझे तुम्हारी मित्रता ग्रहण करने दो. मुझे अपनी मित्रता से अलग होने मत देना."
सात फेरों के प्रत्येक मंत्र में हैं सात वचन
हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले भगवान गणेश की पूजा होती है. इसलिए शादी के मंत्रों की शुरुआत भी गणेश जी की वंदना के साथ होती है.
1. वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ:
निर्विघ्नं कुरूमेदेव शुभ कार्येषु सर्वदा
इस मंत्र का अर्थ है कि विशाल शरीर और वक्र सूंड़ वाले, मुखमंडल पर सहस्त्रों सूर्यों का तेज धारण करने वाले हे ईश्वर! मेरे सभी अच्छे कार्यों को सदा बाधामुक्त करना.
2. इहेमाविन्द्र सं नुद चक्रवाकेव दम्पति ।
प्रजयौनौ स्वस्तकौ विस्वमायुर्व्यअशनुताम् ॥
शादी का दूसरा मंत्र अथर्ववेद से लिए गया है. इस मंत्र से इंद्र देव का आह्वान किया जाता है. इसका अर्थ है कि हे इंद्र देव! तुम इस जोड़ी को चक्रवाकेव पक्षी के जोड़े की तरह हमेशा साथ और खुश रखना.
3. धर्मेच अर्थेच कामेच इमां नातिचरामि ।
धर्मेच अर्थेच कामेच इमं नातिचरामि ॥
शादी के इस तीसरे मंत्र का अर्थ है कि "मैं(वर-वधू दोनों) अपने हर कर्तव्य, आवश्यकताओं में तुमसे सलाह लूंगा और उसके अनुरूप ही कार्य करूंगा."
4. गृभ्णामि ते सुप्रजास्त्वाय हस्तं मया पत्या जरदष्टिर्यथासः ।
भगो अर्यमा सविता पुरन्धिर्मह्यांत्वादुः गार्हपत्याय देवाः ॥
इस मंत्र का अर्थ है कि "मैंने तुम्हारा हाथ थामा है और कामना करता हूँ कि हमारी संतान यशस्वी और हमारा बंधन अटूट हों. भगवान इंद्र, वरूण और सावित्री के आशीर्वाद और तुम्हारे सहयोग से मैं एक आदर्श गृहस्थ बन सकूँ."
5. सखा सप्तपदा भव ।
सखायौ सप्तपदा बभूव ।
सख्यं ते गमेयम् ।
सख्यात् ते मायोषम् ।
सख्यान्मे मयोष्ठाः ।
इस मंत्र का अर्थ है "तुमने मेरे साथ मिलकर सात कदम चला है इसलिए मेरी मित्रता ग्रहण करो. हमने साथ-साथ सात कदम चले हैं इसलिए मुझे तुम्हारी मित्रता ग्रहण करने दो. मुझे अपनी मित्रता से अलग होने मत देना."
6. धैरहं पृथिवीत्वम् ।
रेतोअहं रेतोभृत्त्वम् ।
मनोअहमस्मि वाक्त्वम् ।
सामाहमस्मि ऋकृत्वम् ।
सा मां अनुव्रता भव ।
इस मंत्र का अर्थ है कि "मैं आकाश हूं और तुम धरा. मैं उर्जा देता हूं और तुम उसे ग्रहण करती है. मैं मस्तिष्क हूँ और तुम शब्द. मैं संगीत हूँ और तुम गायन. तुम और मैं एक-दूसरे का अनुसरण करते हैं."
7. गृभ्णामि ते सौभगत्वाय हस्तं मया पत्या जरदष्टिर्थासः ।
भगो अर्यमा सविता पुरंधिर्मह्यं त्वादुर्गार्हपत्याय देवाः ॥
शादी के सात फेरों के साथ अंतिम मंत्र का अर्थ है कि "सवितृ, पुरंधि आदि के आशीर्वाद से मुझे तुम्हारे जैसी भार्या मिली है. मैं तुम्हारे दीर्घ आयु की कामना करता हूं."Live TV


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