क्या है सोम प्रदोष व्रत का महत्व

Update: 2023-04-02 13:50 GMT
जब त्रयोदशी तिथि सोमवार के दिन पड़ती है तो इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है. सोमवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत का धार्मिक दृष्टि से काफी महत्व है. कहा जाता है कि सोम प्रदोष व्रत करने से भगवान भोलेनाथ भक्तों पर बहुत प्रसन्न होते हैं और भोलेनाथ उन पर अपार कृपा करते हैं. इतना ही नहीं सोम प्रदोष व्रत कुंडली में चंद्रमा की स्थिति को भी मजबूत करता है. अप्रैल के महीने में ऐसा संयोग बन रहा है कि इस महीने में दो सोम प्रदोष व्रत पड़ रहे हैं. इस वजह से अप्रैल का महीना शिव भक्तों के लिए बेहद खास होता है. आइये जानते हैं सोम प्रदोष व्रत का महत्व के बारे में.
सोम प्रदोष पूजा का समय
3 अप्रैल शाम 5.55 बजे से शाम 7.30 बजे तक
जबकि अप्रैल में दूसरा सोम प्रदोष व्रत 17 अप्रैल को रखा जाएगा. इस दिन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि रहेगी. इस दिन त्रयोदशी तिथि दोपहर 3 बजकर 47 मिनट से शुरू होगी और प्रदोष व्रत की पूजा शाम 5 बजकर 57 मिनट से 7 बजकर 32 मिनट तक की जा सकती है.
सोम प्रदोष व्रत का महत्व
सोम प्रदोष के दिन भोलेनाथ के अभिषेक, रुद्राभिषेक और श्रृंगार का विशेष महत्व होता है. इस दिन सच्चे मन से भोलेनाथ की पूजा करने से मनोवांछित फल मिलता है. लड़का या लड़की के विवाह में आ रही रुकावटें दूर होती हैं. संतान प्राप्ति के इच्छुक लोगों को इस दिन पंचगव्य से महादेव का अभिषेक करना चाहिए. वहीं ऐसे जातक जो लक्ष्मी प्राप्ति और अपने करियर में सफलता की कामना रखते हैं, उन्हें दूध से अभिषेक करने के बाद शिवलिंग पर फूलों की माला चढ़ानी चाहिए. माना जाता है कि ऐसा करने से भोलेनाथ बहुत प्रसन्न होते हैं.
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