क्या है आमलकी एकादशी व्रत का महत्व और क्यों की जाती है आंवले की पूजा

आमलकी एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु के साथ आंवले के पेड़ की भी पूजा की जाती है

Update: 2023-03-01 14:46 GMT
आमलकी एकादशी होली के त्योहार से पहले आती है. इस दिन श्री हरि विष्णु और आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है. पद्म पुराण के अनुसार आंवले का पेड़ भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है. मान्यता है कि आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi 2023) के दिन आंवले का उबटन, आंवले के पानी से स्नान करना चाहिए और आंवले की पूजा करनी चाहिए. इस साल आमलकी एकादशी 3 मार्च 2023 शुक्रवार को मनाई जाएगी. इस एकादशी को आंवला एकादशी, रंगभरी एकादशी और अमलका एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं.
आमलकी एकादशी पर क्यों की जाती है आंवले के पेड़ की पूजा
आमलकी एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु के साथ आंवले के पेड़ की भी पूजा की जाती है. धर्म शास्त्रों के अनुसार पीपल और आंवले के वृक्षों में देवताओं का वास होता है. पौराणिक मान्यता है कि जब श्री हरि ने सृष्टि की रचना के लिए ब्रह्मा जी को जन्म दिया था, उसी समय भगवान विष्णु ने भी आंवले के पेड़ को जन्म दिया था. कहा जाता है कि यही कारण है कि आमलकी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि आंवला भगवान विष्णु का पसंदीदा फल है.
आमलकी एकादशी व्रत का महत्व
आमलकी एकादशी व्रत को हिंदुओं के बीच अत्यधिक शुभ माना जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है. हिंदू शास्त्रों के अनुसार, इस व्रत को करने से सभी पाप धुल जाते हैं और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु को आंवले का फल अर्पित करने से भक्त को अच्छे स्वास्थ्य, धन और समृद्धि का आशीर्वाद मिल सकता है. इस दिन दान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह दाता को आशीर्वाद और सौभाग्य प्रदान करता है. यह व्रत समस्याओं पर काबू पाने और किसी के जीवन में शांति और समृद्धि लाने में मदद करने वाला भी माना जाता है. अंत में, आमलकी एकादशी व्रत हिंदुओं, विशेष रूप से भगवान विष्णु के भक्तों के लिए एक शुभ दिन है. भक्त इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करने और इसके अनुष्ठानों का पालन करने से आशीर्वाद और सौभाग्य प्राप्त कर सकते हैं
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