क्या है रमजान का इतिहास और महत्व
इस्लाम का पवित्र महीना रमजान (Ramadan) का माना जाता है
इस्लाम का पवित्र महीना रमजान (Ramadan) का माना जाता है. 21 मार्च की शाम चांद देखा जा सकता है और 22 मार्च, 2023 से पहला रोजा (व्रत) रखा जा सकता है. चांद देखने के बाद ही रोजा शुरू होता है जो 30 दिनों तक चलता है और 30वें दिन ईद का चांद देखकर अगले दिन ईद मनाई जाती है. इस्लाम का ईद-उल-फितर सबसे बड़ा खुशी का त्योहार माना जाता है. मुसलमानों के लिए यह महीना पवित्र होता है और इस्लामिक कैलेंडर में रमजान नौवें महीने में शुरू होता है. रमजान में रोजा रखने वाले सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक उपवास रखते हैं. चलिए आपको इस पावन महीने की महत्वता बताते हैं.
क्या है रमजान का महत्व? (Ramadan Roza Importance for Islam)
इस्लाम धर्म को मानने वाले मुस्लिम कहलाते हैं जो ना सिर्फ भारत में हैं बल्कि दुनिया के हर कोने में बसे हैं. मुस्लिम अपने अल्लाह की इबादत के लिए रमजान के पवित्र महीने में रोजे रखते हैं. मुसलमान अल्लाह के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हैं और पूरे महीने दीन-धर्म का काम करने में विश्वास रखते हैं. रमजान को नेकियों का मौसम कहा गया है. इस महीने मुसलमान अल्लाह की इबादत करते हैं, जरूरतमंदों की मदद करते हैं, कुरआन पढ़ते हैं और इबादत में ही लीन रहते हैं. रोजा रखने के दौरान सूर्य निकलने से पहले सहरी करते हैं जिसमें वो कुछ भी खा या पी सकते हैं. इसके बाद पूरे दिन भूखे रहने के बाद सूर्यास्त के बाद रोजा खोलते हैं और कुछ भी खाते-पीते हैं. ऐसी प्रक्रिया पूरे महीने चलती है.
क्या है रमजान का इतिहास? (History of Ramadan)
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, इस महीने में अल्लाह से मोहम्मद साहब को कुरान की आयतें मिली थीं. तब से इस्लामिक कैलेंडर के 9वें माह रमजान का मनाया जाने लगा और आयतें मिलने के कारण ये माह उनके लिए बेहद पवित्र हो गया. इसमें खुदा की इबादत के लिए रोजा रखा जाता है, उनका सदका किया जाता है और धार्मिक कार्य किए जाते हैं. ये रोजा करीब 30 दिनों का होता है और अंतिम दिन ईद-उल-फितर का बड़ा त्योहार मनाया जाता है. उसमें मुस्लिम घरों में पूरा परिवार खुशियां मनाता है. नये-नये कपड़े पहनते हैं, दोस्त-रिश्तेदारों के घर जाते हैं और सबसे बड़ी बात ईद की सिंवई सबसे ज्यादा फेमस होती है.