क्या है हकीक और इसके नुकसान

जिस हकीक में सफेद पट्टियां पाई जाती हैं उसे सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

Update: 2023-02-09 18:11 GMT
हकीक को हिंदी में अकीक और अंग्रेजी में अगेट के नाम से जाना जाता है। ग्रीक दार्शनिकों ने इस रत्न को 300 ईसा पूर्व खोजा था। हकीक सभी मुख्य रत्नों का उप-उप रत्न विकल्प होता है। इसे आमतौर पर माला या अंगूठी के रूप में पहना जाता है। ज्योतिषी की सलाह के मुताबिक बताए गए रंग के अनुसार कोई भी व्यक्ति हकीक को धारण कर सकता है।
हकीक मुख्यत: 6 रंगों में पाया जाता है- हकीक वैसे को कई रंगों के पाए जाते हैं जैसे काले, दूधिया सफेद, ग्रे, नीले, हरे, गुलाबी व भूरे के साथ ही ब्लू बैंडेड, बैंडेड, ब्लू लेस, बोत्सवाना, बुल आई, कैथेड्रल, कोलोरिन, क्रैकेल्ड फायर, क्रेजी लेस, डेन्ड्रिटिक, फायर, फायर-बर्न, जिओड, होली ब्लू, लगुन, लूना और मौस अगेट आदि प्रकार के हकीक पाए जाते हैं। लेकिन काला, सफेद, पीला, लाल, हरा एवं नीला ही खासकर प्रचलन में है। सभी का महत्व अलग-अलग है।
जिस हकीक में सफेद पट्टियां पाई जाती हैं उसे सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। काला मानसिक संतुलन और तनाव के लिए, सफेद आध्यात्मिक शांति और वैराग्य के लिए, पीला हकीक निर्मिकता, धन और सुख समृद्धि के लिए, नीला हकीक अच्छी नींद और बुरे सपने से बचने के लिए होता है।
अन्य फायदे :
1.कहते हैं हकीक की माला का जप करने से भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं।
2.माना जाता है कि हकीक को धारण करने से सभी तरह की बाधाएं दूर हो जाती हैं।
3.इससे किसी भी प्रकार का संकट नहीं रहता और शनि, राहु एवं केतु के दोष दूर हो जाते हैं।
4.माना जाता है कि हकीक को घर में या पास में रखने से सौभाग्य की वृद्धि होती है अर्थात भाग्योदय होता है।
5.कहते हैं कि जिसके पास असली हकीक होता है, वह कभी गरीब नहीं रहता और दरिद्रता का नाश हो जाता है।
6.हकीक की माला फेरने के साथ यदि हनुमानजी के किसी मंत्र का जप किया जाए, तो यह बहुत ही फायदेमंद सिद्ध होता है।
हकीक के नुकसान : इस चमत्कारिक पत्थर को रखने या पहने से पहले ज्योतिष के किसी जानकार से पूछना जरूरी है अन्यथा यह उल्टा नुकसान दे सकता है। हकीक का नकारात्मक प्रभाव भी पह़ता है, क्योंकि यदि आपने कम या ज्यादा रत्नी का हकीक ले लिया तो हो सकता है कि उसका उल्टा प्रभाव पड़े। हालांकि कुछ ज्योतिष मानते हैं कि हकीक रत्न को धारण करने के लिए कैरेट माप का पालन नहीं किया जाता है।
लाल किताब के अनुसार किसी भी रत्न, मणि या पत्थर को धारण करने के पहले कुंडली का विश्लेषण करना जरूरी है अन्यथा यह नुकसानदायक सिद्ध हो सकता है। जैसे शनि और मंगल की युति कहीं भी हो तो मूंगा नहीं पहनना चाहिए। हकीक को लेकर तो और ज्यादा सर्तक रहने की जरूरत है क्योंकि हकीक कई रंगों का होता है। काला रंग राहु का और नीला रंग शनि का है। पीला रंग गुरु का तो सफेद रंग चंद्र एवं शुक्र का है। कुंडली में उक्त ग्रहों की स्थिति देखकर ही हकीक धारण करना चाहिए।
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