Vastu Tips: किसी रोग का शिकार होने पर डॉक्टरों की जरूरत तो होती ही है लेकिन Astrology के अनुसार अगर कोई व्यक्ति ग्रहों, नक्षत्रों के अनुसार अपनी जन्मपत्री से संबंधित उपाय कर लें, तो उपचार में आश्चर्यजनक लाभ मिलता है। इतना ही नहीं समय से उपाय कर लिए जाए, तो रोग को पास आने से पहले ही दूर भगाया जा सकता है। खान-पान पर न ध्यान देना एवं जीवनशैली में विकृति के साथ विभिन्न ग्रहों के कारण हमें रोग होते हैं, यदि हम पौष्टिक आहार लें, जीवनशैली में सुधार करें। आदतों में परिवर्तन के साथ कष्टदायक ग्रहों और वास्तु दोषों का भी निदान कर लें, तो इलाज में उल्लेखनीय सुधार होता है। घर और काम करने की स्थितियां हमारे रोग का कारण बनती है पर जानकारी के अभाव में हम उस गुप्त शत्रु के बारे में जान ही नहीं पाते हैं। दवा के साथ दुआ हमेशा महत्वपूर्ण मानी गई है, ज्योतिष, वास्तु का उपाय एवं उपयोग करना लाभकारी होता है।
-यदि हमारे घर के दरवाजे एवं खिड़कियां खोलते समय चरमरा कर आवाज करती है तो निश्चित रूप से यह मानसिक तनाव का कारण बनती है, कब्ज़े में तेल डालकर उनकी आवाज बंद करने का प्रयास करें।
-यदि आप पीलिया के शिकार हो तो दवा जरूर करें, साथ ही छोटे से मिट्टी के बर्तन में शहद भरकर ढके और मुँह को आटे से बंद करने के बाद शरीर पर से सात बार उतारकर वीरान स्थान पर ले जाकर दबा दें, निश्चित रूप से स्वास्थ्य लाभ होगा।
-पैरों में जोड़ों का दर्द हो रहा हो तो समझिए घर या बेडरूम शनि प्रधान है या तो कुंडली में शनि की दशा ठीक नहीं है, ऐसे में आठ किलो काली खड़ी उड़द रोगी के बदन से उतारकर जल में प्रवाहित करें अथवा किसी जरूरतमंद को दे दें, यदि रोगी स्वयं नहीं जा सकता तो रक्त संबंधी भी यह उपाय कर सकते हैं।
-कमर या पीठ में दर्द का कारण केतु होता है, ऐसे में तकरीबन आठ सौ ग्राम काले-सफेद तिल को इष्टदेव का नाम लेकर नदी अथवा तालाब में प्रवाहित करें, रीड़ की हड्डी के दर्द में निश्चित लाभ होगा।
-कोई रोग लंबा हो तो काले उड़द को चार सौ ग्राम दही में मिलाकर घर के दक्षिण दिशा में रखने से शीघ्र लाभ मिलेगा।
-चिकित्सक यदि बीमार व्यक्ति को उत्तर दिशा में बैठकर दवाई दे, तो औषधि ज्यादा लाभकारी होगी इतना ही नहीं दवा को भी वायव्य कोण में ही रखना चाहिए। यदि माँ बच्चे को नैऋत्य कोण में बैठकर दूध पिलाती है, तो वह बच्चा रोगों से ग्रस्त रहेगा पर यदि माँ पूर्व की ओर मुँह करके बच्चे को दूध पिलाएं तो बच्चा सेहतमंद रहेगा।
-रोगी को नैऋत्य कोण में रखने पर बिमारी लंबे समय तक बनी रहती है, पर उसे वायव्य अथवा ईशान कोण में रखने से अपेक्षाकृत जल्दी लाभ होगा।
-कमरे की छत में यदि बीम लगा हो तो उसके नीचे बिल्कुल भी नहीं सोना चाहिए क्योंकि बीम जिस भी अंग के नीचे पड़ेगा, वह भाग रोगग्रस्त हो जाएगा।
-यदि इमरजेंसी न हो तो दवा लेने की शुरुआत स्वाति, पुनर्वसु, श्रवण या धनिष्ठा नक्षत्रों में करनी चाहिए, ऐसी स्थितियां न बनें तो रविवार, wednesday or friday को दवा लेना आरंभ करेंगे तो शीघ्र स्वास्थ लाभ होगा, दवा लेते समय जन्म वाला नक्षत्र नहीं होना चाहिए।