धर्म अध्यात्म: सनातन धर्म में व्रत, त्योहार व धार्मिक आयोजनों का बहुत महत्व है. आज 25 अगस्त को सावन महीने में आखिरी शुक्रवार को मां वरलक्ष्मी का व्रत है. वरलक्ष्मी व्रत धन की देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है और श्रद्धालुओं को धन-संपत्ति, वैभव, संतान सुख, सौभाग्य की प्राप्ति होती है. वरलक्ष्मी व्रत के दिन महिलाएं अपने पति, बच्चों और परिवार की मंगल कामना के लिए दिनभर उपवास रहकर मां लक्ष्मी की आराधना करती हैं.
मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को विशेष लाभ की प्राप्ति होती है. जिन लोगों को जीवन में आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ रहा है तो उन्हें ये व्रत जरूर रखना चाहिए. वंश वृद्धि के उद्देश्य से भी ये व्रत बहुत लाभदायक माना जाता है. जो व्यक्ति सच्चे मन से ये व्रत रखता है, उसे जीवन के तमाम सुखों की प्राप्ति होती है और कभी भी धन की कमी नहीं देखनी पड़ती.
क्या है मान्यता?
पंडित मनोज शुक्ला बताते हैं कि सनातन हिंदू धर्म में जैसे ही देवशयनी एकादशी होती है. चौमासा प्रारंभ होता है उसके बाद से विभिन्न प्रकार व्रत प्रारंभ हो जाते हैं. जैसे ही श्रावण का महीना आता है भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती जी की पूजा, मां लक्ष्मी जी की पूजा अलग-अलग स्वरूपों में पूरे भारत देश में किया जाता है.
सुख समृद्धि…
मंगला गौरी व्रत के जैसे श्रावण माह के अंतिम शुक्रवार के दिन वरलक्ष्मी व्रत रखी जाती है. और मां लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है. इस पूजा को प्रायः दक्षिण भारत के लोग ज्यादा मानते हैं. इसमें घर में सुख समृद्धि आती है और संतान की कामना होने पर प्राप्त होता है. इस तरह के श्रावण मास के आखरी शुक्रवार यानी 25 अगस्त को वर लक्ष्मी माता की पूजा की जाती है. जैसे शुक्रवार को वैभव माता लक्ष्मी का व्रत रखते हैं उसी तरह मां लक्ष्मी के अलग अलग स्वरूपों में पूजा की जाती है. यह वर लक्ष्मी का व्रत रखने से घर में सभी तरह के मनोकामनाएं पूरी होती है.