Kalashtami ज्योतिष न्यूज़ : सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन कालाष्टमी व्रत को बहुत ही खास माना गया है जो कि हर माह की अष्टमी तिथि पर मनाई जाती है इस दिन भगवान शिव के रौद्र स्वरूप भगवान कालभैरव की विधिवत पूजा की जाती है और उपवास रखा जाता है मान्यता है कि ऐसा करने से कालभैरव का आशीर्वाद मिलता है, साथ ही धन धान्य में वृद्धि होती है। इस बार कालाष्टमी का व्रत पूजन 22 नवंबर को किया जाएगा। तो आज हम आपको पूजा की सरल विधि बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
कालाष्टमी की तारीख और मुहूर्त—
हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 22 नवंबर दिन शुक्रवार को शाम 6 बजकर 7 मिनट पर हो रहा है और इस तिथि का समापन अगले दिन यानी की 23 नवंबर दिन शनिवार को रात 7 बजकर 56 मिनट पर हो जाएगा। इस दिन काल भैरव की पूजा का शुभ मुहूर्त 22 नवंबर को सुबह 6 बजकर 50 मिनट से 10 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। वही निशिता काल मुहूर्त 22 नवंबर की रात 11 बजकर 41 मिनट से 23 नवंबर की रात 12 बजकर 34 मिनट तक रहेगा।
कालाष्टमी पर ऐसे करें पूजा—
आपको बता दें कि कालाष्टमी के शुभ दिन पर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद साफ वस्त्रों को धारण कर पूजा स्थल की अच्छी तरह साफ सफाई करें और उस पर एक लाल रंग का वस्त्र बिछाएं। इसके बाद कालभैरव की प्रतिमा को स्थापित करें। अब पूजा के लिए दीपक, धूप, पुष्प, फल, मिठाई, जल, अक्षत, रोली, चंदन आदि पूजन सामग्री एकत्रित करें।
इसके बाद इन चीजों को एक एक करके भगवान को अर्पित करें और “ॐ क्लीं कालिकायै नमः” इस मंत्र का मन ही मन जाप करें। कालभैरव की पूजा कर उन्हें अर्घ्य अर्पित करें इसके बाद भैरव बाबा को भोग लगाएं और उनकी आरती करें मान्यता है कि इस विधि से पूजा करने से भगवान शीघ्र प्रसन्न होकर कृपा करते हैं और कष्टों को दूर कर देते हैं।