वर्ष 2021 में लगेंगे दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण, जानें पूरी डिटेल

साल 2021 में अब कुछ ही दिन बाकी हैं। नया साल शुरू होते ही व्रत और त्योहारों का सिलसिला भी शुरू हो जाएगा। इसके साथ ही नए साल में चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण भी लगेंगे।

Update: 2020-12-28 06:47 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेसक | साल 2021 में अब कुछ ही दिन बाकी हैं। नया साल शुरू होते ही व्रत और त्योहारों का सिलसिला भी शुरू हो जाएगा। इसके साथ ही नए साल में चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण भी लगेंगे। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि 2021 में दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण लगेंगे। मई से दिसंबर के बीच कुछ 4 ग्रहण लगेंगे। अगले साल लगने वाले इन 4 ग्रहण में 3 ग्रहण भारत में देखे जा सकेंगे।

सूर्य ग्रहण:
पहला सूर्य ग्रहण 10 जून 2021- साल 2021 का पहला सूर्य ग्रहण 10 जून को लगेगा। भारत में यह ग्रहण आंशिक रूप से दिखाई पड़ेगा। इसके अलावा यह ग्रहण उत्तरी अमेरिका के उत्तरी भाग, यूरोप और एशिया में आंशिक, उत्तरी कनाडा, रूस और ग्रीनलैंड में पूर्ण रूप से दिखाई पड़ेगा। पहला सूर्यग्रहण भारत के कुछ ही भागों में देखा जा सकेगा। पूर्वोत्तर में अरुणाचल के कुछ भागों में और जम्मू-कश्मीर के कुछ भागों में ग्रहण समाप्त होने से पहले कुछ समय के लिए देखा जा सकता है। देश के अन्य भागों में यह ग्रहण दृश्य नहीं होगा।
दूसरा सूर्य ग्रहण 4 दिसंबर 2021- इस दिन साल 2021 का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण लगेगा। इस ग्रहण को भारत में नहीं देखा जा सकेगा। यह अंटार्कटिका, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका में दिखाई पड़ेगा।
चंद्र ग्रहण:
पहला चंद्र ग्रहण 26 मई 2021- इस दिन साल का पहला चंद्र ग्रहण लगेगा। यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा। यह भारत में एक उपछाया ग्रहण के तौर पर देखा जा सकेगा, जबकि पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और अमेरिका में पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा। यह चंद्रग्रहण भारत में दिखेगा लेकिन देश के कुछ भागों में ही लोग ग्रहण को देख पाएंगे। भारत के उत्तर पूर्वी भागों में चंद्रोदय के समय जब ग्रहण का मोक्ष हो रहा होगा उस समय यह ग्रहण दिखेगा। नागालैंड मिजोरम असम त्रिपुरा पूर्वी उड़ीसा अरुणाचल पश्चिम बंगाल में लोग इस ग्रहण को देख पाएंगे।
दूसरा चंद्र ग्रहण 19 नवंबर 2021-19 नवंबर को साल का आखिरी चंद्र ग्रहण दोपहर करीब 11.30 बजे लगेगा, जो कि शाम 05 बजकर 33 मिनट पर समाप्त होगा। यह आंशिक चंद्र ग्रहण होगा। यह भारत, अमेरिका, उत्तरी यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और प्रशांत महासागर में देखा जा सकेगा। यह ग्रहण भारत में अरुणाचल और असाम के कुछ भाग में ही चंद्रोदय के समय नजर आएगा। इस दिन चंद्रमा ग्रहण के साथ उदित होगा और उदय के कुछ पल बाद ही ग्रहण समाप्त हो जाएगा।
ग्रहण को लेकर धार्मिक मान्यता:
धार्मिक मान्यता के अनुसार, ग्रहण को अशुभ घटना के रूप में देखा जाता है। इसलिए इस दौरान कई कार्यों को वर्जित माना गया है। खासकर शुभ कार्यों को। ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ करना वर्जित होता है और इस दौरान देवी-देवताओं की मूर्तियों को स्पर्श नहीं किया जाता है। मंदिरों के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं।
ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचने के उपाय:
सूर्य और चंद्र ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए इन दोनों ग्रहों से संबंधित मंत्रों का जाप करना चाहिए। सूर्य ग्रहण में सूर्य के बीज मंत्र और चंद्र ग्रहण में चंद्रमा के बीज मंत्र का जाप करने से ग्रहण के अशुभ प्रभावों से बचा जा सकता है। इसके अलावा इन दोनों ग्रहों के यंत्रों की पूजा करने से भी ग्रहण के अशुभ प्रभावों से छुटकारा पाया जा सकता है।

सूर्य ग्रहण के प्रकार:
आमतौर से सूर्य ग्रहण तीन प्रकार से लगता है:-
पूर्ण सूर्य ग्रहण
आंशिक सूर्य ग्रहण:
इस ग्रहण की स्थिति में चन्द्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच में आकर सूर्य को अपने पीछे आंशिक रुप से ढक लेता है। इस दौरान सूर्य का पूरा प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुंचता और इस स्थिति को ही आंशिक सूर्य ग्रहण कहते हैं।
वलयाकार सूर्य ग्रहण:
सूर्य ग्रहण की इस स्थिति में चन्द्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आकर सूर्य को पूरी तरह न ढकते हुए, उसके केवल मध्य भाग को ढकता है। इस दौरान पृथ्वी से देखने पर सूर्य एक रिंग की तरह प्रतीत होता है, जिसे हम वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं।

चंद्र ग्रहण के प्रकार:
ठीक सूर्य ग्रहण की तरह ही चंद्र ग्रहण भी मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है:
जब सूर्य की परिक्रमा करते हुए उसके ठीक आगे पृथ्वी आ जाती है और उसी समय पृथ्वी के आगे चन्द्रमा आ जाता है। इस दौरान पृथ्वी सूर्य को पूर्णत: ढक लेती है, जिससे सूर्य का प्रकाश चन्द्रमा तक नहीं पहुंच पाता और इसी स्थिति को पूर्ण चंद्र ग्रहण कहते हैं।
आंशिक चंद्र ग्रहण:
इस स्थिति में पृथ्वी चन्द्रमा को आंशिक रुप से ढक लेती है, जिसे आंशिक चंद्र ग्रहण कहते हैं।
उपच्छाया चंद्र ग्रहण:
जब चंद्र पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए उसके पेनुम्ब्रा से होकर गुजरता है, जिससे चन्द्रमा पर सूर्य का प्रकाश कुछ कटा हुआ सा पहुंचता है। इस स्थिति में चन्द्रमा की सतह कुछ धुँधली दिखाई देने लगती है जिसे हम उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहते हैं। वास्तव में यह ग्रहण नहीं होता क्योंकि इसमें चंद्रमा ग्रसित नहीं होता। इसी वजह से इसका सूतक भी मान्य नहीं होता।


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