कल है प्रदोष व्रत, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

प्रदोष व्रत कल यानी 5 अगस्त, दिन गुरुवार को है।

Update: 2021-08-04 09:09 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| प्रदोष व्रत कल यानी 5 अगस्त, दिन गुरुवार को है। प्रदोष व्रत भगवान शंकर को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखते हैं। हर महीने त्रयोदशी तिथि एक बार शुक्ल और एक बार कृष्ण पक्ष में आती है। इस तरह से हर महीने दो और साल भर में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं।

प्रदोष शुभ समय और विशेष संयोग-

श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी 05 अगस्त को शाम 05 बजकर 09 मिनट से शुरू होगी, जो कि 06 अगस्त की शाम 06 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी। प्रदोष व्रत के दिन हर्षण योग बन रहा है। हर्षण योग 06 अगस्त की सुबह 01 बजकर 14 मिनट तक रहेगा। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में हर्षण योग को ज्यादातर शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। यह योग शुभ मुहूर्त में गिना जाता है।

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प्रदोष व्रत का महत्व-

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है।

बुध प्रदोष व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।

इस व्रत को करने से संतान पक्ष को लाभ होता है।

प्रदोष व्रत पूजन सामग्री लिस्ट-

भगवान शिव को पूजा के दौरान अबीर, गुलाल, चंदन, अक्षत, फूल, धतूरा, बिल्वपत्र, जनेऊ, कलावा, दीपक, कपूर, अगरबत्ती और फल आदि अर्पित करना शुभ होता है।

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प्रदोष व्रत पूजा- विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।

स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें।

घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

अगर संभव है तो व्रत करें।

भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें।

भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें।

इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।

भगवान शिव को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।

भगवान शिव की आरती करें।

इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

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